चेन्नई: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की प्रमुख जे. जयललिता शनिवार को पांचवी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कुछ दिनों पहले ही आय से अधिक संपत्ति मामले में उन्हें बरी कर दिया था। तमिलनाडु के राज्यपाल के. रोसैया के कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, मंत्रिपरिषद में विभागों के बंटवारे के संबंध में राज्यपाल ने नामित मुख्यमंत्री जयललिता की सिफारिश स्वीकार कर ली है।
मद्रास विश्वविद्यालय के शताब्दी सभागार में 23 मई (शनिवार) को पूर्वाह्न 11 बजे शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा।
इस मौके पर जयललिता (67) सहित कुल 29 मंत्री शपथ लेंगे।
सात माह बाद जनता के सामने आईं जयललिता ने शुक्रवार को रोसैया से मुलाकात कर प्रसन्नता व्यक्त की।
पार्टी अधिकारियों ने कहा कि इस दौरान उन्होंने शनिवार को होने जा रहे शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शपथ लेने वाले मंत्रियों की सूची भी सौंपी।
जयललिता ने अपने मंत्रिमंडल में वन मंत्री एम.एस.एम. आनंद और पी. चेंदूर पाण्डियन (कोई विभाग नहीं) को छोड़कर निवर्तमान मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को बरकरार रखा है। उन्होंने किसी भी मंत्री के विभाग में कोई परिवर्तन नहीं किया है।
उन्होंने लोक-संबंधी, आईएएस, आईपीएस और आईएफएस, गृह, सामान्य प्रशासन और जिला राजस्व जैसे प्रमुख विभाग अपने पास रखे हैं। जबकि पन्नीरसेल्वम के पास वित्त और लोक निर्माण मंत्रालय का प्रभार होगा।
इससे पहले, राज्यपाल रोसैया ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और उनके मंत्रिपरिषद का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और जयललिता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।
जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरू की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद मुख्यमंत्री पद और श्रीरंगम विधानसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा था। कर्नाटक की निचली अदालत ने उन्हें चार साल कैद की सजा सुनाई थी और उनपर 100 करोड़ रुपये जुर्माना भी लगाया था।
जयललिता ने शुक्रवार को पार्टी के संस्थापक दिवंगत एम.जी. रामचंद्रन, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के संस्थापक दिवंगत सी.एन. अन्नादुरई तथा द्रविड़ कड़गम के संस्थापना ई.वी. रामास्वामी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगी।
राज्य के विभिन्न हिस्सों से एआईएडीएमके के कार्यकर्ता सुबह से ही जयललिता को शुभकामनाएं देने के लिए बड़ी संख्या में पार्टी मुख्यालय पहुंच गए थे।
प्रमुख मार्ग अन्ना सलाई पर भारी भीड़ के कारण आवागमन ठप हो गया था।
जिस रास्ते से जयललिता गुजरने वाली थीं उस पर जयललिता की तस्वीर के साथ पार्टी के सैकड़ों झंडे, पोस्टर और बैनर इत्यादि लगे हुए थे। लोग जयललिता की एक झलक पाने के लिए पेड़ों पर चढ़ गए थे।
तमिलनाडु में शुक्रवार सुबह राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला। सुबह सात बजे एआईएडीएम के कार्यालय में विधायकों की बैठक बुलाई गई, जिसमें जयललिता को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया। उनके नाम का प्रस्ताव पन्नीरसेल्वम ने रखा था, जिसे पार्टी के अन्य विधायकों ने एकमत से स्वीकार कर लिया।
जयललिता के एआईएडीएमके विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद पन्नीरसेल्वम ने तमिलनाडु के मुख्यममंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
ऐसी संभावना है कि जयललिता राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए पार्टी के एक विधायक पी. वेत्रीवेल ने 17 मई को राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया था।
वेट्रीवेल के इस्तीफे के बाद कर्नाटक की 234 सदस्यीय विधानसभा में एआईएडीएमके के विधायकों की संख्या विधासभा अध्यक्ष को छोड़कर 150 रह गई है।
एआईएडीएमके के संस्थापक नेता एमजीआर की सहयोगी जयललिता 1980 की शुरुआत में पार्टी की प्रचार सचिव नियुक्त की गई थीं। 1984 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सांसद बना दिया।
1989 में पहली बार जयललिता तमिलनाडु विधानसभा की सदस्य बनीं। दो साल बाद 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए चुनावों में उन्होंने व्यापक जीत दर्ज की और पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।
1996 में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उनकी सरकार सत्ता से बाहर हो गई। हालांकि 2001 में वह एक बार फिर सत्ता में वापस लौटीं।
जयललिता ने 2011 में एक बार फिर एआईएडीएमके को जबरदस्त जीत दिलाई। इस बार उन्होंने कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जिसके कारण वह तमिलनाडु में काफी लोकप्रिय हुईं।