नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चल रहे तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु द्वारा विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) के रूप में जी. भवानी सिंह की नियुक्ति को दोषपूर्ण करार दिया।
जयललिता ने इस मामले में सुनाई गई सजा को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसकी सुनवाई में तमिलनाडु सरकार ने भवानी सिंह को एसपीपी के तौर पर नियुक्त किया है।
इस मामले में जयललिता सहित तीन अन्य को सजा सुनाई गई है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत की पीठ ने कहा कि नियुक्ति उचित नहीं है, हालांकि उसने उच्च न्यायालय द्वारा फैसले में किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला 11 मार्च को सुरक्षित रख लिया है।
न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा, "आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता के खिलाफ ताजा सुनवाई की जरूरत नहीं है। प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर फिर से सुनवाई की जरूरत नहीं है।"
भवानी सिंह की नियुक्ति तमिलनाडु के सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीएवीसी) द्वारा की गई थी।
अदालत ने नियुक्ति के खिलाफ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता के. अंबाझगन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अंबाझगन तथा कर्नाटक सरकार को अपनी दलील के समर्थन में लिखित प्रतिवेदन दाखिल करने की मंजूरी देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह 27 अप्रैल को फैसला सुनाएगी।
न्यायालय ने अंबाझगन को जयललिता की अपील के खिलाफ अपना लिखित प्रतिवेदन उच्च न्यायालय में दाखिल करने की मंजूरी दी।
न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर तथा न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ द्वारा 17 अप्रैल को विभाजित फैसला देने के कारण अंबाझगन की याचिका तीन न्यायाधीशों वाली पीठ करेगी।