चेन्नई: तमिलनाडु की 'आयरन लेडी' कही जाने वाली जे. जयललिता ने शनिवार को पांचवी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
लगभग सात महीने के इंतजार के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को बरी कर दिया, जिसके बाद से जयललिता की वापसी को लेकर उनकी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) और उनके समर्थकों के बीच जश्न और उत्साह का माहौल है।
जयललिता के समर्थकों के अनुसार, 67 वर्षीय जयललिता ने रिहाई के बाद आने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के लिए उत्साह और जोश की लहर के रूप में वापसी की है, लेकिन साथ ही उनके समक्ष कुछ चुनौतियां भी हैं।
युनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर रामू मणिवानन ने आईएएनएस को बताया, "जयललिता के सामने पहली चुनौती सरकार और शासन को वापस पटरी पर लाना है, जो 27 सितंबर, 2014 के बाद से मंत्रियों के शासन को लेकर उदासीन रवैए के कारण बेपटरी हो गई है।"
बकौल मणिवानन आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को बरी किया जाना निश्चितरूप से उनके लिए फायदेमंद है, लेकिन सिर्फ इसी एक आधार के सहारे जयललिता अगला चुनाव नहीं जीत सकती हैं।