नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के साथ गठबंधन समाप्त कर दिया और पीडीपी की अगुवाई वाली जम्मू-कश्मीर सरकार से अलग हो गई। भाजपा ने घाटी में आतंकवादी गतिविधियों व कट्टरवाद की बढ़ोतरी का हवाला देते हुए कहा कि गठबंधन में बने रहना मुश्किल हो गया था। जल्दबाजी में बुलाए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी ने अचानक इस फैसले की घोषणा की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव राम माधव ने कहा कि उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता व अन्य नौ मंत्रियों ने राज्यपाल एन.एन.वोहरा व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राज्य के नेताओं को परामर्श के लिए तत्काल राष्ट्रीय राजधानी बुलाया गया था।
यह कदम ऐसे समय में आया है, जब 2019 के आम चुनाव में साल भर से भी कम समय बाकी है। इस कदम से दो महीने पहले भाजपा ने कठुआ दुष्कर्म मामले में लोगों की नाराजगी को लेकर अपने उपमुख्यमंत्री को बदला था। केंद्र सरकार के संघर्षविराम नहीं जारी रखने के फैसले के दो दिन बाद यह कदम सामने आया है।
राम माधव ने कहा, "सरकार के बीते तीन सालों के कार्यो की समीक्षा करने व गृह मंत्रालय व एजेंसियों से परामर्श करने व प्रधानमंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से सलाह के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जम्मू एवं कश्मीर में गठबंधन का आगे बढ़ना मुश्किल है।"
राम माधव ने कहा, "भाजपा के लिए जम्मू एवं कश्मीर में आज के समय में पैदा हुए हालात में गठबंधन में बने रहना मुश्किल हो गया है। घाटी में आतंकवाद व हिंसा बढ़ी है और कट्टरता तेजी से फैल रही है। घाटी में नागरिकों के मूल अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार खतरे में हैं और श्रीनगर में दिनदहाड़े वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या इसका मिसाल है।"
पीडीपी व भाजपा ने दिसंबर 2014 के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में दो महीने से ज्यादा समय बाद गठबंधन सरकार का गठन किया था। जम्मू एवं कश्मीर की 89 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 25 व पीडीपी को 28 सीटें मिलीं थीं, जबकि नेशनल कांफ्रेस को 15 व कांग्रेस 12 सीटों पर जीत मिली थी। पीडीपी-भाजपा सरकार एक मार्च, 2015 को सत्ता में आई थी।
भाजपा नेता ने कहा कि गठबंधन कश्मीर में शांति बहाल करने की मंशा व राज्य के जम्मू एवं लद्दाख सहित सभी तीनों क्षेत्रों में तेजी से विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा, "भाजपा ने एक अच्छी सरकार देने के लिए अपना बेहतरीन प्रयास किया। केंद्र ने 80,000 करोड़ रुपये का एक पैकेज दिया था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य का कई बार दौरा किया और केंद्र सरकार ने कश्मीर में मुद्दों को हल करने के एक गंभीर प्रयास के तौर पर एक वार्ताकार की नियुक्ति की थी। सीमा पर भी हमने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए 4,000 बंकरों के निर्माण का कदम उठाया। राज्य सरकार जो भी चाहती थी हम उसे देने को तैयार थे।"लेकिन माधव ने कहा कि उन्हें दुख है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन में विफल रही और जम्मू एवं लद्दाख क्षेत्र के साथ भेदभाव की भावना जारी रही।
उन्होंने कहा, "तीन साल के बाद आज हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पूरे राष्ट्र के हित में जिसका जम्मू एवं कश्मीर अखंड हिस्सा है और देश की अखंडता व संप्रभुता के हित में सुरक्षा के बड़े हित को ध्यान में रखते हुए स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हमने यह फैसला किया है कि राज्य की मौजूदा स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए यह राज्य की सत्ता की बागडोर राज्यपाल (एन.एन.वोहरा) को थोड़े समय के लिए सौंपने का समय है। स्थिति के सुधरने के बाद हम विचार करेंगे कि भविष्य में क्या करना है और राजनीतिक प्रक्रिया को आगे ले जाएंगे।"
उन्होंने कहा कि संघर्षविराम की घोषणा केंद्र द्वारा राज्य में शांति लाने की मंशा से व रमजान के पवित्र महीने में कश्मीर के लोगों को राहत देने के लिए की गई थी उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद थी कि हमें हुर्रियत जैसी अलगाववादी ताकतों व आतंकवादियों से एक अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी। हमारी कोई मजबूरी नहीं थी। यह एक सद्भावना संकेत था और हमने इसे दृढ़ता से किया।"
भाजपा नेता ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के बाद संघर्षविराम को बढ़ाने का कोई सवाल नहीं था। अगर आतंकवादी शहर में दाखिल होते हैं और उच्च सुरक्षा वाले इलाके में दिनदहाड़े बुखारी की हत्या करते हैं तो संघर्षविराम को जारी रखने का कोई सवाल नहीं है।
राम माधव ने यह भी कहा कि बीते तीन सालों में कट्टरवाद को रोकने के दौरान 600 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं। उन्होंने कहा, "आतंकवादियों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा और इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। इसी वजह से हम सरकार से बाहर जा रहे हैं।"
सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दिए गए कारणों के अलावा सरकार से बाहर जाने का कोई अन्य कारण नहीं है। हम राज्य में अपनी जमीन खोने को लेकर चिंतित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव में मिले जनादेश का सम्मान करने के लिए गठबंधन बना था और दोनों पार्टियां साथ आईं और सरकार चलाने की कोशिश कीं। उन्होंने कहा कि राज्य अतीत में हिंसा बढ़ने और इस पर नियंत्रण की अवधि के दौरान ऐसी स्थिति का सामना करना कर चुका है। उन्होंने कहा, "हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वर्तमान हालात व परिस्थिति में हम सरकार में बने रहने में असमर्थ हैं।"