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मरते वक्त लौहपुरुष सरदार पटेल के बैंक खाते में थे सिर्फ 260 रुपए

देश की रियासतों को भारत में मिलाने का साहसिक कार्य सरदार पटेल के खून की एक बूंद गिरे बिना आसानी से कर दिया लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था, वो एक किराए के मकान में रहा करते थे। पटेल अहमदाबाद में एक किराए के मक

Edited by: India TV News Desk
Published on: October 31, 2017 8:07 IST
Sardar-Patel- India TV Hindi
Sardar-Patel

नई दिल्ली: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राष्ट्र को सर्वोपरि मानने वाले और राष्ट्रीय एकता के शिल्पी लौहपुरुष दूरदृष्टा सरदार वल्लभ भाई पटेल की 142वीं जयंती आज पूरा देश मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटेल को नमन कर देशवासियों को एकता की शपथ दिलाकर रन फॉर यूनिटी को हरी झंडी दिखाई। एक किसान के बेटे और हमेशा जमीन से जुड़े रहने वाले नेता की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी कि राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ खपा देने वाले सरदार पटेल के पास अपने जीनव के अंतिम दिनों में मात्र 260 रुपए ही थे।

रियासतों का एकीकरण किया, खुद के पास मकान भी नहीं-

देश की रियासतों को भारत में मिलाने का साहसिक कार्य सरदार पटेल के खून की एक बूंद गिरे बिना आसानी से कर दिया लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था, वो एक किराए के मकान में रहा करते थे। पटेल अहमदाबाद में एक किराए के मकान में रहा करते थे। जब देश को अंग्रेजों से आजादी मिली तो देश में 562 रियासतें हुआ करती थीं। ये ऐसी रियासतें थी जिनपर अंग्रेजों के इतर स्वतंत्र सत्ता चलती थी। जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर की रियासतों को अगर छोड़ दिया जाए तो अधिकतर ने बिना किसी विरोध के भारत में मिलना स्वीकार कर लिया था। जूनागढ़ का नवाब दरअसल पाकिस्तान में विलय चाहता था लेकिन नवाब के इस फैसले पर वहां की जनता ने विद्रोह कर दिया और नवाब को पाकिस्तान भागना पड़ा। इस तरह से जूना गढ़ का भारत में विलय हुआ। वहीं हैदराबाद का निजाम हैदराबाद स्टेट को एक स्वतंत्र देश बनाना चाहता था लेकिन सरदार पटेल ने आपरेशन पोलो के जरिए निजाम की हेकड़ी दूर कर उन्हें समर्पण को मजबूर कर दिया।

अंतिम समय में पटेल के घर पर 1 हजार रुपए भी नहीं थे-

आज के राजनीतिक माहौल को देखें तो यह विश्वास नहीं हो सकता है कि मरते समय एक गृहमंत्री के बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपए हों। मगर यह सच था। अखंड के एक बड़े शिल्पी के रुप में जाने जाने वाले पटेल के घर में उनके अंतिम दिनों में बमुश्किल एक हजार रुपए भी नहीं थे। इस बात से यह समझा जा सकता है कि देश के लिए समर्पित एक नेता का त्याग कैसा हो सकता है।

अगली स्लाइड में पढ़ें पटेल के बारे में गांधी के विचार..........

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