नई दिल्ली: पेशे से कार्टूनिस्ट रहे बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र में शिवसेना का गठन प्रखर हिंदू राष्ट्रवादी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। वह मराठी में अपने संगठन का मुखपत्र 'सामना' निकाला करते थे, जो आज भी प्रकाशित हो रहा है। उनका फिल्मी दुनिया से गहरा नाता रहा है। अभिनेता संजय दत्त जब टाडा कानून के तहत मुश्किल में घिरे थे, उस समय में उन्हें बाल ठाकरे से हर संभव मदद मिली थी।
दिलीप कुमार और बाला साहेब में थी गहरी दोस्ती
प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार यानी यूसुफ खान और बाल ठाकरे के बीच एक वक्त गहरी दोस्ती थी। दिलीप साहब उस वक्त इंडस्ट्री के बड़े नाम थे और बाल ठाकरे तेजी से उभरते राजनेता। मुंबई में बाला साहब की पैठ काफी अच्छी बन चुकी थी और वो अकसर बॉलीवुड से जुड़े विवादों को भी सुलझाते थे। कहते हैं कि उस वक्त बाला साहब के निर्देश पर मुंबई में दक्षिण भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर जमकर हंगामा मचता था। यहां तक कि दक्षिण भारतीय निर्देशक अगर हिंदी फिल्म भी बनाते थे तो उन्हें मुंबई में रिलीज नहीं करने दिया जाता था। दिलीप कुमार की फिल्म राम और श्याम के प्रोड्यूसर और निर्देशक भी दक्षिण भारतीय थे, इसलिए उनके फिल्म के रिलीज पर भी धरना प्रदर्शन होने लगा। आखिरकार दिलीप साहब बाला साहेब से मिलने गए और फिर मामला सुलझा, फिल्म को रिलीज करने दिया गया।
दोनों की दोस्ती वक्त के साथ गहरी होती गई। लेकिन साल 1998 में जब बाला साहब ने ये मांग की कि दिलीप कुमार को पाकिस्तान सरकार के दिए निशान-ए- इम्तियाज पुरस्कार को लौटा देना चाहिए तो दोनों के रिश्तों में खटास आ गई। ठाकरे ने एक इन्टरव्यू में कहा था- "दिलीप साहब मेरे साथ शाम की बैठकी लगाया करते थे, लेकिन बाद में पता नहीं क्या हुआ कि वो मुझसे दूर होते चले गए।"
वहीं, बाला ठाकरे के निधन पर गहरा अफसोस व्यक्त करते हुए दिल्ली कुमार ने कहा था, ‘मैंने कभी उन्हें टाइगर नहीं माना, मेरी नजर में तो वो शेर थे। मुझे याद है जब उन्होंने हमारे बीच आए फासले को मसाला चाय की चुस्कियों के साथ ही खत्म कर दिया था।’
सलमान को लेकर बाला साहेब ने क्या कहा था?
कहा जाता हैं जब भी बॉलीवुड में किसी स्टार के करियर के उपर मुसीबत के काले बादल मंडराते थे तो मातोश्री का रुख करने में इन सितारों को कोई हिचक नहीं होती थी। ठाकरे साहब के करीबियों की मानें तो सलमान खान की भी बाला साहब ने काफी मदद की थी। वाक्या साल 2001 एक का है, सलमान खान और ऐश्वर्या के बीच रोमांस की खबरों का बाजार गर्म था। और अचानक 4 साल बाद 2005 में एक रिकॉर्डेड फोन कॉल रिलीज किया गय़ा, जिसमें सलमान एक डॉन का नाम लेकर धमकी दे रहे थे।
इसके बाद शिवसेना और बीजेपी, दोनों ने सलमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की गई और मुंबई-दिल्ली जैसे शहरों में सलमान की फिल्मों की स्क्रीनिंग रोक दी गई। इस कंट्रोवर्सी में जब खान परिवार ने बाल ठाकरे साहब से संपर्क किया तो उन्होंने अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया। बाला ठाकरे के इशारे पर ही सलमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कम हो गए। मामला कोर्ट में गया और ये पाया गया कि इस बातचीत में सलमान की आवाज थी ही नहीं। लेकिन ठाकरे साहब ने इस विवाद के शांत होने के बाद ये कमेंट किया था कि सलमान एक समझदार इंसान नहीं है। इस बात को उनके पिता भी मानते हैं। सलमान को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए।
जब अमिताभ से बाला साहब ने पूछा, सच बताओ क्या तुम इस घोटाले में शामिल हो?
अमिताभ बच्चन से भी बाल ठाकरे की अच्छी बनती थी। जब बोफोर्स घोटाले के छीटें अमिताभ के दामन पर पड़े तब भी बाला साहेब ने अमिताभ को हिम्मत दी थी। ट्विटर पर अमिताभ बताते हैं कि बाला साहब ने मुझसे पूछा कि सच बताओ क्या तुम इस घोटाले में शामिल हो? मेरा जवाब सुनन के बाद कहा घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूं।
बाल ठाकरे का जन्म पुणे शहर में 23 जनवरी, 1926 को हुआ था। उन्हें लोग प्यार से 'बाला साहेब' भी कहते थे। उनके पिता थे केशव सीताराम ठाकरे और माता रमाबाई केशव ठाकरे थीं। नौ भाई-बहनों में बाल ठाकरे सबसे बड़े थे। उनका परिवार 'मराठी चन्द्रसैन्य कायस्थ प्रभु' जाति से संबंध रखता था। बाल ठाकरे के पिता केशव ठाकरे सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने सन् 1950 में संयुक्त महाराष्ट्र अभियान चलाया था और बंबई (मुंबई) को भारत की राजधानी बनाने का प्रयास करते रहे। मुंबई देश की राजधानी भले ही न बन सकी, लेकिन आर्थिक राजधानी जरूर बन गई। बाला साहेब ठाकरे ने मीना ठाकरे से विवाह किया था। उनके तीन पुत्र हुए- बिंदुमाधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे।
निर्वाचन आयोग ने बाल ठाकरे के मतदान करने पर लगाया था प्रतिबंध
बाल ठाकरे सख्त और कट्टर राजनेता माने जाते थे। दिलचस्प बात यह थी कि वह पेशे से एक कार्टूनिस्ट थे। यह भी अचरज की बात है कि हास्य को कला में पिरोने वाला एक शख्स राजनीति में उतना ही निर्मम माना जाता था। ठाकरे कुछ समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शाखा में भी जाया करते थे। 28 जुलाई, 1999 को निर्वाचन आयोग ने बाल ठाकरे के मतदान करने पर प्रतिबंध लगाया था और 11 दिसंबर, 2005 के आदेश में उन्हें छह साल तक किसी भी चुनाव में शामिल होने से मना किया था, क्योंकि उन्हें धर्म के नाम पर वोट मांगते पाया गया था। प्रतिबंध खत्म होने के बाद उन्होंने पहली बार बीएमसी चुनाव में मतदान किया था।
ठाकरे ने दावा किया था कि शिवसेना मुंबई में रहने वाले हर मराठी माणूस की मदद करेगी। जिस समय महाराष्ट्र में बेरोजगारी चरम पर थी, बाला साहेब ने महाराष्ट्र का विकास करने की ठानी और वहां के लोगों को कई तरह से रोजगार उपलब्ध करवाए।
हृदयरोग के कारण 17 नवंबर, 2012 को अचानक बाला साहेब ठाकरे का निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके निवास स्थान 'मातोश्री' पर मुंबईवासी उमड़ पड़े। तेज रफ्तार से चलने वाला मुंबई अचानक शांत हो गया। पूरे महाराष्ट्र में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया और महाराष्ट्र पुलिस के 20000 पुलिस आफिसर और रिजर्व पुलिस बल के 15 दल शांति व्यवस्था बनाने में जुटे रहे।
18 अक्टूबर, 2012 को उनकी अंत्येष्टि शिवाजी पार्क में की गई। महाराष्ट्र में लोग बाला साहेब को 'टाइगर ऑफ मराठा' के नाम से जानते थे। वह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके निधन पर लोगों ने बिना किसी नोटिस के अपनी मर्जी से पूरे मुंबई को बंद रखा था।