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‘इंदिरा गांधी ने हाथी, साइकिल की बजाए पंजा चुना, अब ये तीनों चिह्न साथ आ रहे हैं’

यूपी में पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हुआ था। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री ने वर्ष 1978 में कांग्रेस में दरार आने के बाद हाथ के पंजे को चिन्ह के तौर पर चुना था...

Reported by: Bhasha
Published on: April 01, 2018 17:35 IST
indira gandhi- India TV Hindi
indira gandhi

नई दिल्ली: इंदिरा गांधी द्वारा पंजे को चुनाव चिह्न चुने जाने के किस्से को एक नई पुस्तक में याद करते हुए कहा गया है कि उनके द्वारा साइकिल और हाथी की बजाए हाथ के पंजे को चुनाव चिह्न चुने जाने के दौरान बहुत कम लोगों ने सोचा होगा कि लगभग 40 साल बाद तीनों चिह्नों के साथ आने की संभावना भी उभर सकती है। यह पुस्तक ऐसे समय में प्रकाशित हुई है जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच चुनावी गठबंधन की बात सामने आ रही है। सपा का चुनाव चिह्न साइकिल है जबकि बसपा का चुनाव चिह्न हाथी है।

यूपी में पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हुआ था। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री ने वर्ष 1978 में कांग्रेस में दरार आने के बाद हाथ के पंजे को चिन्ह के तौर पर चुना था। लोकसभा में पार्टी के 153 सदस्यों में से 76 सदस्यों का समर्थन खोने के अलावा उनके नए राजनीतिक संगठन कांग्रेस ( इंदिरा) को एक गाय और एक बछड़े वाला चुनाव चिह्न भी छोड़ना पड़ा था।

राजनीतिक पत्रकार रशीद किदवई की पुस्तक“ बैलट- टेन एपिसोड्स दैट हैव शेप्ड इंडियाज डेमोक्रेसी’’ में कहा गया है कि खबरों के मुताबिक इंदिरा पुराने चिह्न से छुटकारा पाकर राहत महसूस कर रही थीं। पुस्तक में कहा गया कि इस चिह्न का पूरे देश में मजाक उड़ाया जाता था जहां गाय को इंदिरा के तौर पर और बछड़े को उनके बेटे संजय के तौर पर देखा जाता था।

उन्होंने पार्टी के पुराने चिह्न- बैलों के एक जोड़े की मांग की थी लेकिन तब चुनाव आयोग द्वारा उसपर रोक लगा दी गई थी। हाल में प्रकाशित हुई इस किताब के मुताबिक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के तत्कालीन महासचिव बूटा सिंह ने नए चुनाव चिह्न के लिए चुनाव आयोग के समक्ष याचिका दाखिल की थी। हैशेट द्वारा प्रकाशित पुस्तक में बताया गया कि इंदिरा गांधी उस वक्त पी वी नरसिम्हा राव के साथ विजयवाड़ा में थीं जब आयोग ने बूटा सिंह को हाथी, पंजा और साइकिल में से एक चिह्न चुनने को कहा था। असमंजस की स्थिति में बूटा सिंह ने इंदिरा की स्वीकृति के लिए उन्हें फोन किया।

बूटा सिंह के लहजे के कारण इंदिरा को हाथ की बजाए बार-बार हाथी सुनाई दे रहा था और वह इससे इंकार कर रही थीं। किताब में बताया गया, “गुस्से में इंदिरा ने फोन राव को पकड़ा दिया। कुछ देर के अंदर ही एक दर्जन भाषाओं के जानकार राव समझ गए कि बूटा सिंह क्या कहना चाहते हैं और खबरों के मुताबिक वह उनपर चिल्लाए और उसे पंजा बोलने के लिए कहा। इसके बाद इंदिरा ने फोन लिया और पूरे दिल से इसपर सहमति जताई।”

अब कई सालों बाद इन तीनों चुनाव चिह्नों के साथ आने की अटकले हैं जहां वर्ष 2019 के आम चुनावों के लिए कांग्रेस, सपा और बसपा में भाजपा के खिलाफ गठबंधन की बात चल रही है।

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