नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत के ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका है। मोदी ने भारत, ब्रिटेन टेक सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा, "उद्यमशीलता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की भारत, ब्रिटेन संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका है।"
मोदी ने थेरेसा मे के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा करने के लिए धन्यवाद दिया।
मोदी ने कहा, "हमें शिक्षा और अनुसंधान अवसरों में युवा लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "दोनों देशों के समक्ष आर्थिक चुनौतियां हैं जिनसे व्यापार एवं वाणिज्य प्रभावित सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है। हम दोनों को मिलकर नए अवसरों का सृजन करना चाहिए।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के व्यापक ग्यान आधार तथा ब्रिटेन की आधुनिक वैग्यानिक जांच से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को एक समग्र रख प्रदान किया जा सकता है। इससे आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल से हालांकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश का आकार लगभग समान रहा है, लेकिन दोनों दिशाओं से निवेश मजबूत रहा है।
मोदी ने कहा कि ब्रिटेन में भारत तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है, जबकि भारत में ब्रिटेन सबसे बड़ा जी20 निवेशक है। दोनों देश एक-दूसरे के यहां बड़ी संख्या में रोजगार को समर्थन देते हैं।
मोदी ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन का मकसद तेजी से बढ़ते शहरीकरण के माहौल में डिजिटल प्रौद्योगिकी का एकीकरण करना है। ब्रिटेन पहले से पुणे, अमरावती तथा इंदौर की परियोजना में काफी रचि दिखा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, जहां तक मुझे पता है ब्रिटेन की कंपनियों ने पहले ही 9 अरब पाउंड के करार पर दस्तखत किए हैं। मैं उनसे और अधिक भागीदारी चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम का लक्ष्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दक्ष युवाओं की उद्यमशीलता के लिए नवोन्मेषण व प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है। आज निवेशकों और नवोन्मेषकों के रोमांचक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ भारत और ब्रिटेन दुनिया में शीर्ष स्टार्ट अप हब में शुमार हो चुके हैं।
मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि भारत और ब्रिटेन को लगातार उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी अनुसंधान के पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करना चाहिए जिससे संयुक्त रूप से प्रौद्योगिकी विकास का रास्ता खुल सके और वैश्विक चुनौतियों से निपटा जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ब्रिटेन प्रौद्योगिकी सम्मेलन उच्च शिक्षा पर केंद्रित है। यह भारतीय छात्र-छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह साझा भविष्य के लिए द्विपक्षीय संपर्कों को परिभाषित करेगा।
उन्होंने कहा कि हमें आवाजाही को प्रोत्साहन देना चाहिए। साथ ही शिक्षा तथा शोध के अवसरों में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि विग्यान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण में वृद्धि को आगे बढ़ाने की भरपूर क्षमता है। भारत-ब्रि्रटेन संबंधों में इनकी उल्लेखनीय भूमिका है।
उन्होंने कहा, मैंने हमेशा कहा है कि विग्यान सार्वभौमिक है, लेकिन प्रौद्योगिकी स्थानीय होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी सम्मेलन एक-दूसरे की जरूरतों को समझने का अवसर प्रदान करते हैं, जिससे भविष्य में रिश्तों का मार्ग प्रशस्त होता है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के प्रमुख विकास मिशन, प्रौद्योगिकी क्षेत्र की उपलब्धियां और आकांक्षाओं के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध भारत और ब्रिटेन की कंपनियों को वृद्धि के नए गंतव्य उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन के पास डिटिजल इंडिया में सहयोग करने और सूचनाओं की पहुंच बढ़ाने के साथ जन केंद्रित ई-गवर्नेंस को आगे बढ़ाने का अवसर है।
इसके पहले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार और अवसरों को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देश एक विशेष संबंध साझा करते हैं। थेरेसा ने भारत, ब्रिटेन टेक सम्मेलन में कहा, "भारत और ब्रिटेन के बीच बहुत संभवानाएं हैं। हमारा संबंध बहुत ही विशेष है।"
थेरेसा ने कहा कि ब्रिटेन अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुधारों पर काम कर रहा है और भारतीय निवेश से हमारी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में मदद हो रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीयों के लिए ब्रिटेन की यात्रा करना आसान होगा। थेरेसा ने कहा, "नियमित तौर पर ब्रिटेन आने वाले भारतीयों के लिए एक पंजीकृत यात्रा योजना है।"
टेरेसा मे आज रात यहां अपनी 3 दिवसीय यात्रा पर पहुंची जिसका उद्देश्य व्यापार, निवेश, रक्षा और सुरक्षा के प्रमुख क्षेत्रों में भारत और ब्रिटेन के संबंधों को मजबूत करना है। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने के बाद टेरेसाने जुलाई में प्रधानमंत्री का कामकाज संभाला था और उसके बाद यूरोप के बाहर यह उनका पहला द्विपक्षीय दौरा है।