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सेक्युलरिजम संविधान में है, हमारे दिल में है और रहेगा: नायडू

नयी दिल्ली: संविधान पर किसी प्रकार का खतरा मंडराने की विपक्ष की आशंकाओं को पूरी तरह खारिज करते हुए सरकार ने आज कहा कि सेक्युलरिजम शब्द संविधान की प्रस्तावना में मैं बना रहेगा। इस शब्द

Bhasha
Updated on: November 27, 2015 14:43 IST
'सेक्युलरिजम...- India TV Hindi
'सेक्युलरिजम संविधान में है, हमारे दिल में है और रहेगा'

नयी दिल्ली: संविधान पर किसी प्रकार का खतरा मंडराने की विपक्ष की आशंकाओं को पूरी तरह खारिज करते हुए सरकार ने आज कहा कि सेक्युलरिजम शब्द संविधान की प्रस्तावना में मैं बना रहेगा। इस शब्द को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के कल के बयान को लेकर पैदा घमासान पर आज केंद्र ने बचाव की मुद्रा में आते हुए स्पष्टीकरण दिया कि यह शब्द संविधान में था, है और रहेगा। डा. बी आर अम्बेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर कल गृह मंत्री द्वारा शुरू की गयी चर्चा को आज आगे बढ़ाते हुए संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सेक्युलरिजम संविधान में था, संविधान में है और संविधान में रहेगा।

उन्होंने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद बताते हुए कहा, आज संविधान को कोई खतरा नहीं है , कोई गिरफ्तारियां : राजनीतिक नेताओं की : नहीं हो रही हैं , जजों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया जा रहा है। हम सभी को संविधान को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना होगा।उन्होंने कहा, सेक्युलरिजम हमारे दिल में है और यह हमारे दिल में रहेगा।इसके साथ ही उन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षों पर हमला बोलते हुए कहा कि जो जाति और सांप्रदायिक राजनीति करते हैं वे दूसरों को धर्मनिरपेक्षता विरोधी कहते हैं।आरक्षण पर छिड़ी बहस पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जब तक जरूरत है तब तक आरक्षण देगी। उन्होंने कहा, यह पार्टी का पक्ष है।

हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण इतना आसान नहीं है। यही कारण है कि सत्ता पक्ष भी हिचक रहा है और विपक्ष भी हिचक रहा है। उन्होंने कहा कि इस पर वार्ता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुरूष सदस्यों को अपनी सीट जाने का डर है लेकिन उन्हें दिल बड़ा करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ना होगा।नायडू ने कहा कि हमें इस मुद्दे पर किसी नतीजे पर पहुंचना होगा और हमारी सरकार यह काम कर रही है।

समाज में कथित रूप से बढ़ते कट्टरपंथ के संबंध में नायडू ने कहा कि कुछ ऐसे तत्व किसी भी पार्टी में हो सकते हैं जिन्हें अलग थलग किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण के बजाय सभी को न्याय दिलाने की भावना के साथ काम करना चाहिए।

पिछले दिनों पाकिस्तान में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अयर के बयान का मुद्दा उठाते हुए नायडू ने कहा कि कश्मीर मुद्दा कांग्रेस की वजह से नहीं सुलझ पाया और पाकिस्तान से जारी आतंकवाद न रूकने के पीछे भी कांग्रेस की नीतियां जिम्मेदार हैं। उनके इस आरोप का कड़ा प्रतिवाद करते हुए सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सवालिया अंदाज में कहा, क्या आपने रोक दिया उन्हें?

चुनाव में धन बल के प्रयोग, दलबदल और जातीय राजनीतिक कार्ड खेले जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए नायडू ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने पूर्वोत्तर के एक राज्य विशेष का नाम लिए बिना कहा, पहले रिटेल दल बदल पर रोक लगायी गयी थी लेकिन अब थोक में दलबदल हो रहा है। पूर्वोत्तर के एक राज्य में पिछले दिनों विपक्षी दल के सभी सदस्य सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए। उन्होंने इसे हास्यास्पद के साथ ही दुर्भाग्यपूर्ण और निर्वाचन प्रक्रिया की दृष्टि से समाज के लिए कैंसर बताया।

नायडू ने कहा, दुर्भाग्य है कि जमीन, पानी, भाषा, मजहब लोगों को इतना आंदोलित कर देते हैं कि वे भावनाओं में बह जाते हैं और फिर बात पांच साल पर चली जाती है तब वे कुछ कर नहीं सकते। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हित और लोकतंत्र के हित में यह चलन ठीक नहीं है। उन्होंने घटते लिंगानुपात और महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में कहा कि देश में निर्भया कांड जैसी घटना सभी के लिए शर्म की बात है। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने के साथ ही लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत को भी रेखांकित किया।

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