Monday, November 25, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. नेतृत्व को लेकर कांग्रेस और तृणमूल के बीच जबर्दस्त खींचतान, खतरे में विपक्षी एकता

नेतृत्व को लेकर कांग्रेस और तृणमूल के बीच जबर्दस्त खींचतान, खतरे में विपक्षी एकता

पार्टी सूत्रों के मुताबिक तृणमूल पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी अपने करियर के सबसे कठिन चुनावों में से एक को जीतने के बाद विपक्ष के सबसे सशक्त चेहरे के रूप में उभरी हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 27, 2021 16:33 IST
Congress vs Trinamool, Congress, Trinamool, Mamata, Mamata Sonia, Sonia Gandhi- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान के बाद विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका लगता दिख रहा है।

Highlights

  • तृणमूल फिलहाल कांग्रेस को बीजेपी से लोहा लेने में कथित तौर पर असफल बताने का मौका नहीं छोड़ रही है।
  • ममता बनर्जी बंगाल चुनावों को जीतने के बाद विपक्ष के सबसे सशक्त चेहरे के रूप में उभरी हैं।
  • तृणमूल ने फैसला किया है कि वह संसद सत्र में कांग्रेस के साथ किसी तरह का समन्वय नहीं करेगी।

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान के बाद, भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका लगता दिख रहा है। हाल में तृणमूल द्वारा कांग्रेस नेताओं को अपने दल में शामिल किए जाने के बाद दोनों दलों में दरार बढ़ गई है और कांग्रेस खुद को मुश्किल स्थिति में पा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 20 अगस्त को बुलाई गई बैठक में सौहार्द्र दिखाने के बावजूद टीएमसी देश की सबसे पुरानी पार्टी को बीजेपी से लोहा लेने में कथित तौर पर असफल बताने का मौका नहीं छोड़ रही है और पूरे देश में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

खुद को विपक्ष के नेता के रूप में स्थापित करना चाहती हैं ममता

पार्टी सूत्रों के मुताबिक तृणमूल पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी अपने करियर के सबसे कठिन चुनावों में से एक को जीतने के बाद विपक्ष के सबसे सशक्त चेहरे के रूप में उभरी हैं। इसके साथ ही वह राष्ट्रीय राजनीति में संभवत: विपक्षी गठबंधन के नेता के रूप में खुद को स्थापित करना चाहती हैं जो वर्ष 2014 के बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस के पास है। पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल (तृणमूल) पर हमला करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘मैं शुरू से कह रहा हूं कि ममता बनर्जी गुप्त रूप से बीजेपी की सहायक हैं।’

‘कोई भी कभी कांग्रेस को मिटा नहीं सकेगा’
अधीर रंजन ने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस की गतिविधियां संकेत दे रही हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य कांग्रेस को कमजोर करना और बीजेपी की मदद करना है। लेकिन ताकीद कर दूं कि कोई भी इसमें सफल नहीं होगा और कोई भी कभी कांग्रेस को मिटा नहीं सकेगा।’ विपक्ष के नेतृत्व के मुद्दे और कांग्रेस की कीमत पर भी तृणमूल की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश ने संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने की कोशिशों में गतिरोध पैदा कर दिया है।

दोनों पार्टियों को कई मौकों पर एक दूसरे पर हमला करते हुए देखा गया
तृणमूल सूत्रों के मुताबिक, सलमान खुर्शीद जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के आकलन कि पार्टी, बीजेपी के साथ सीधा मुकाबला होने पर अगले लोकसभा चुनाव में 120 से 130 सीट जीतने की स्थिति में है, से ममता के खेमे में अच्छा संदेश नहीं गया है। उन्होंने कहा कि तब से विपक्षी खेमे में दरार सामने आ रही है और दोनों पार्टियों को कई मौकों पर एक दूसरे पर हमला करते हुए देखा गया जबकि बीजेपी नेता इस लड़ाई को देख रहे हैं और संभवत: उनके चेहरे इससे खिले हुए हैं।

‘यह तृणमूल है जो बीजेपी के साथ लड़ रही है’
सूत्रों ने बताया कि पूर्व के रुख के उलट तृणमूल कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सदन में कांग्रेस के साथ किसी तरह का समन्वय नहीं करेगी। तृणमूल के महासचिव कुणाल घोष ने कहा, ‘कांग्रेस ने गत 7 साल में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कुछ नहीं किया। यह तृणमूल है जो बीजेपी के साथ लड़ रही है। हमने कभी कांग्रेस के बिना विपक्षी गठबंधन बनाने की बात नहीं की, लेकिन कांग्रेस को अहसास होना चाहिए कि बड़े भाई की भूमिका अब स्वीकार नहीं की जा सकती। पार्टी (कांग्रेस) कई राज्यों में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।’

कांग्रेस के कई नेता तृणमूल में हुए शामिल
गौरतलब है कि विगत में तृणमूल ने कांग्रेस को न केवल ‘अयोग्य और अक्षम’ करार दिया बल्कि पिछले चुनाव में राहुल गांधी की अमेठी में हार को लेकर भी निशाना साधा। पार्टी जोर दे रही है कि राहुल गांधी नहीं बल्कि बनर्जी विपक्ष का चेहरा हैं। ममता बनर्जी की पार्टी का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर उसका विस्तार सही फैसला है और भले ही यह कांग्रेस की कीमत पर हो। सुष्मिता देव, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिनो फलेरियो और क्रिकेट से राजनीति में आए कीर्ति आजाद हाल में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल हुए हैं।

यशवंत सिन्हा को अब भी विपक्षी एकता को लेकर उम्मीद
इस सप्ताह तृणमूल ने कांग्रेस को एक और बड़ा झटका दिया और मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा सहित पार्टी के 12 विधायक तृणमूल में शामिल हो गए। इसके साथ ही राज्य में ममता बनर्जी की पार्टी मुख्य विपक्षी बन गई। तृणमूल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को अब भी विपक्षी एकता को लेकर उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि लोग अब तृणमूल की ओर देख रहे हैं और कांग्रेस गत कुछ सालों में कमजोर हुई है। फिर भी अभी अगला चुनाव होने में 2.5 साल का समय है, परिस्थिति बदल सकती है।’

‘तृणमूल और कांग्रेस किसी मुकाम पर नहीं पहुंचेंगे’
दोनों दलों की लड़ाई पर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘दोनों पार्टियों के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई ने विपक्षी एकता की कमी को उजागर कर दिया है। तृणमूल और कांग्रेस किसी मुकाम पर नहीं पहुंचेंगे।’ राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम कहते हैं, ‘ये पार्टियां, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस से ही पैदा हुई हैं। इसलिए उनके अस्तित्व और विकास के लिए कांग्रेस विरोध कायम रखने की जरूरत है। अगर कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है तो ये पार्टियां उसका स्थान लेने की कोशिश करेंगी।’

‘ममता को प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार के तौर पर देखा जा सकता है’
मैदुल इस्लाम ने आगे कहा, ‘बंगाल चुनाव में जीत के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाली ममता को प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार के तौर पर देखा जा सकता है।’ राजनीतिक विश्लेषक विश्वजीत चक्रवर्ती ने आगाह किया कि विपक्षी ताकतों के बीच की लड़ाई बीजेपी के पक्ष में जा सकती है। विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य ने कहा कि अंतत: दोनों पार्टियां हाथ मिलाएंगी, भले यह आम चुनाव के पहले हो या उसके बाद। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में लेने का असर विपक्षी एकता पर नहीं पड़ेगा। अगर ऐसा होता तो कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक सरकार चलाने में सफल नहीं होतीं।’ (भाषा)

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement