नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस की अखिल भारतीय बैठक मंगलवार से जम्मू में आयोजित हो रही है। खास बात ये है कि 1925 में बना संघ जम्मू-कश्मीर में पहली बार इतने बड़े स्तर पर ये बैठक आयोजित कर रहा है। इस बैठक में देश के समक्ष उत्पन्न प्रमुख चुनौतियों पर चिंतन और विचार विमर्श होने के साथ ही आने वाले समय में संगठन के कार्यो का लेखाजोखा तैयार किया जायेगा। जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमले के बीच ऐसा माना जा रहा है कि संघ की राष्ट्रीय बैठक में आतंकवाद, आंतरिक सुरक्षा और कश्मीर के हालात पर चर्चा होगी। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
इस बारे में पूछे जाने पर संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि 16 और 17 जुलाई को संघ के क्षेत्रीय प्रचारकों की बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हो रही है। इस दौरान संघ की ओर से अगस्त 2016 से जुलाई 2017 के बीच शुरू की गयी विभिन्न पहल की प्रगति की समीक्षा भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि संघ की अखिल भारतीय बैठक 18 जुलाई से शुरू होगी और 20 जुलाई तक 200 से अधिक प्रांत प्रचारक जम्मू कश्मीर, चीन समेत राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे। इसके अगले दिन विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी दी जायेगी।
बैठक में हिस्सा लेने के लिये संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत पहले ही जम्मू पहुंच गए हैं। उन्होंने नवनिर्मित प्रांत संघ कार्यालय का उद्घाटन किया। संघ के सरकार्यवाह भैया जी जोशी, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सुरेश सोनी, डॉ. कृष्ण गोपाल एवं अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी जम्मू पहुंच गए हैं। क्षेत्रीय प्रचारकों के साथ संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। 18 जुलाई से राष्ट्रीय बैठक में सभी राज्यों के प्रांत प्रचारक, सह प्रांत प्रचारक, क्षेत्रीय प्रचारक एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहेंगे।
जम्मू-कश्मीर में पहली बार हो रही राष्ट्रीय बैठक में संघ के करीब 200 पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि इस बैठक में कुछ भी अस्वभाविक नहीं है बल्कि ऐसी बैठक पहले भी होती रही है। हालांकि, जम्मू कश्मीर में इस बैठक के आयोजन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि संघ पहली बार जम्मू कश्मीर में ऐसी बैठक का आयोजन कर रहा है। जम्मू कश्मीर में यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब घाटी में हिंसा में वृद्धि हुई है और चीन के साथ गतिरोध जारी है।
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