नई दिल्ली: संसद में बजट सत्र के दूसरे फेज की शुरूआत बेहद हंगामेदार रही। पहले दिन विपक्षी दलों ने दिल्ली के दंगे का मुद्दा उठाया और गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। लोकसभा में हंगामा इस कदर तक हुआ कि नौबत धक्का-मुक्की तक पहुंच गई और अगर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सूझबूझ का परिचय नहीं दिया होता तो लोकसभा के दामन पर सोमवार के दिन दाग लगा जाता। उन्होंने सूझबूझ का परिचय देते हुए एक नहीं, दो बार सदन की मयार्दा भंग होने से बचाई। यह स्मृति ईरानी की कोशिशों का नतीजा था जो सांसदों की आपसी भिड़ंत ने गंभीर रूप धारण नहीं किया।
दरअसल, सोमवार को बजट सत्र के दूसरे फेज का पहला दिन था। पहले ही दिन दिल्ली हिंसा को लेकर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्ष दिल्ली हिंसा पर गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगने लगा। इस पर विपक्षी सांसदों की सत्तापक्ष के सांसदों से गरमागरम बहस हुई। माहौल गरमाता देख स्पीकर ओम बिरला को सांसदों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील करनी पड़ी। मगर सांसदों ने उनकी दरख्वास्त भी नामंजूर कर दी। एक दूसरे से धक्का-मुक्की करने लगे।
हंगामे की शुरुआत तब हुई, जब भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल बोल रहे थे और उसी समय कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और गुरजीत सिंह औजला उनके सामने बैनर लहराने लगे। इसके बाद रमेश बिधूड़ी सहित भाजपा के कुछ और सांसदों ने गोगोई से बैनर छीनने की कोशिश की। देखते ही देखते इस झड़प में दोनों पक्षों से कुछ और सांसद शामिल हो गए। सदन में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई।
लोकसभा की गरिमा को ठेस पहुंचता देख स्मृति ईरानी तुरंत सीट छोड़कर बीच-बचाव करने पहुंच गईं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी अपनी सीट से तुरंत मौके पर पहुंचे। स्मृति ईरानी दोनों पक्षों को समझाने-बुझाने में जुट गईं और इस काम में उन्हें पार्टी के दो अन्य वरिष्ठ नेताओं का भी सहयोग मिला। बहरहाल, इस घटना के बाद ओम बिरला ने सदन को स्थगित कर दिया।
शाम चार बजे से फिर सदन शुरू हुआ। इस बार भाजपा और कांग्रेस की महिला सांसदों में भिड़ंत हो गई। केरल से सांसद और कांग्रेस की दलित चेहरा राम्या हरिदास स्पीकर के पोडियम के सामने बैनर लहराने लगीं, जिसे सत्ताधारी दल के सांसदों ने रोकने की कोशिश की।
राम्या हरिदास ने बाद में आईएएनएस से बातचीत में आरोप लगाया कि भाजपा सांसद जसकौर मीणा ने उन पर हमला किया। महिला सांसदों की लड़ाई ने जब गंभीर रूप लेना शुरू किया तो फिर स्मृति ईरानी को दखल देना पड़ा। इस बार स्मृति ईरानी अपनी सीट से हाथ जोड़ते हुए मौके पर पहुंचीं और दोनों पक्षों के सांसदों से सदन की गरिमा का ख्याल करने की अपील करतीं नजर आईं। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सांसदों से शांति की अपील की। एक बार फिर सदन डेढ़ घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा।
बसपा के एक सांसद ने कहा, "सदन में सत्ता पक्ष से नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और रामविलास पासवान जैसे वरिष्ठ नेताओं और विपक्ष की ओर से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के न होने से अराजकता की स्थिति रही। फिर भी मैं कहूंगा कि स्मृति जी ने सदन को अपमानित होने से बचाया। कई सदस्यों के आक्रामक रवैये के कारण कुछ भी हो सकता था। लेकिन स्मृति ईरानी ने स्थिति को संभाल लिया।"
(Input IANS)