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प्राइवेट पार्टी के हाथों में लालकिले का रखरखाव कैसे सौंपा गया : विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा

विपक्षी दलों ने ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिये जाने पर आज सवाल उठाया। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : April 28, 2018 23:51 IST
Randeep Surjewala
Randeep Surjewala

नयी दिल्ली: विपक्षी दलों ने ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिये जाने पर आज सवाल उठाया। कुछ ही दिन पहले एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ ‘धरोहर को गोद लेने’ की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। सहमति ज्ञापन के तहत ‘द डालमिया भारत’ समूह धरोहर का रखरखाव करेगा और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचों का निर्माण करेगा। उसने इसके लिए पांच साल में 25 करोड़ रूपये खर्च करने का वादा किया है। इस फैसले का कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रस ने विरोध किया है और उन्होंने भारत की आजादी के प्रतीक को एक तरह से कोरपोरेट के हाथों में सौंपने को लेकर सरकार पर हमला किया। 

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की आजादी के प्रतीक लाल किले को कोरेपोरेट के हाथों बंधक रखने की तैयारी कर रहे हैं। क्या मोदीजी या भाजपा लालकिले का महत्व समझती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि यह निजी कंपनी लाल किला देखने के लिए टिकट जारी करेगी। क्या यह सच नहीं है कि यदि कोई वहां वाणिज्यिक गतिविधि या कोई कार्यक्रम करना चाहता है तो निजी पार्टी को भुगतान करना होगा।’’ 

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘क्या आप लाल किला जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक को रखरखाव के लिए अपने कोरपोरेट दोस्तों को दे सकते हैं?’’ मंत्रालय के अनुसार सहमति ज्ञापन के तहत डालमिया समूह ने 17वीं शताब्दी की इस धरोहर पर छह महीने के भीतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर सहमति जतायी है। इसमें पेयजल कियोस्क, सड़कों पर बैठने की बेंच लगाना और आगंतुकों को जानकारी देने वाले संकेतक बोर्ड लगाना शामिल है। 

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘क्या सरकार हमारे ऐतिहासिक लालकिले की देखभाल भी नहीं कर सकती? लालकिला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है। यह ऐसी जगह है जहां स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा फहराया जाता है। इसे क्यों लीज पर दिया जाना चाहिए? हमारे इतिहास में निराशा और काला दिन है।’’ 

माकपा ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने एक प्रकार से लालकिले को डालमिया ग्रुप को सौंप दिया है । माकपा ने कहा, ‘‘ डालमिया समूह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 'वे शुरुआत में पांच साल के लिए इसके मालिक होंगे’ और समझौता उन्हें डालमिया ब्रांड का प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देता है।’’ 

पार्टी ने कहा, ‘‘ इसके पास स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के दौरान तथा संकेतक बोर्डों पर सभी तरह की प्रचार सामग्री में अपने ब्रांड के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है। वाकई, उसे प्रमुख से प्रदर्शित संकेतक बोर्ड में यह घोषणा करने की अनुमति होगी कि लालकिला को डालमिया भारत लिमिटेड ने गोद ले लिया है। ’’ माकपा ने कहा कि लालकिला स्वतंत्र भारत का प्रतीक है और उसे कोरपोरेट निकाय को सौंपा जाना ईशनिंदा से कम नहीं है। आरोपों पर पर्यटन राज्य मंत्री के . जे . अल्फोंस ने कहा कि गत वर्ष शुरू की गई योजना के तहत मंत्रालय धरोहर स्मारकों को विकसित करने के लिए जन भागीदारी पर गौर कर रहा है। 

उन्होंने कहा , ‘‘ इस परियोजना में शामिल कंपनियां केवल पैसा खर्च करेंगी , पैसा कमाएंगी नहीं। वे आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके लिए शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराएंगी। वे यह बताने के लिए बाहर में बोर्ड लगा सकती हैं कि उन्होंने मूलभूत सुविधाएं विकसित की हैं। यदि वे राशि खर्च कर रही हैं तो उसका श्रेय लेने में कुछ गलत नहीं है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं उन्होंने पिछले 70 वर्ष क्या किया। सभी धरोहर स्मारक और उसके आसपास स्थित सुविधाओं की स्थिति अत्यंत खराब है। कुछ स्थानों पर कोई सुविधा ही नहीं है। ’’ 

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