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केंद्र बेरोजगारी की स्थिति कैसे पैदा कर सकता है?: PM मोदी ने राज्यों के आंकड़ों का दिया हवाला

मोदी ने कहा कि नौकरियों की कमी से अधिक बड़ा मुद्दा नौकरियों के डेटा की कमी होना है। विपक्ष ने स्वाभाविक रूप से अपनी पसंद की एक तस्वीर पेश करने और सरकार को दोषी ठहराने के लिए इस अवसर का फायदा उठाया है...

Reported by: Bhasha
Published on: July 02, 2018 20:35 IST
prime minister narendra modi- India TV Hindi
prime minister narendra modi

नई दिल्ली: रोजगार के सवाल पर विपक्ष की आलोचना को सिरे से खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में राज्य सरकारों के आंकड़ों का हवाला दिया और सवाल किया कि अगर राज्यों में अच्छी संख्या में रोजगार सृजित हो रहे हैं तब केंद्र कैसे बेरोजगारी की स्थिति पैदा करेगा। प्रधानमंत्री ने स्वराज मैगजीन को दिए साक्षात्कार में कहा कि नौकरियों के मुद्दे पर हमारे ऊपर अंगुली उठाने के लिए वह विपक्ष को दोष नहीं देते, मगर यह बताना जरूरी है कि नौकरियों का सटीक आंकड़ा नहीं होना एक कारण है।

मोदी ने कहा कि नौकरियों की कमी से अधिक बड़ा मुद्दा नौकरियों के डेटा की कमी होना है। विपक्ष ने स्वाभाविक रूप से अपनी पसंद की एक तस्वीर पेश करने और सरकार को दोषी ठहराने के लिए इस अवसर का फायदा उठाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुणा करने के लिए उनकी सरकार ने चार स्तरीय रणनीति अपनाई है जिसमें लागत कम करना, उत्पादों की उचित कीमत सुनिश्चित करना, कटाई और कटाई के बाद नुकसान को कम करना और आय अर्जित करने के अधिक आयाम सृजित करना शामिल है।

रोजगार के बारे में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि रोजगार सृजन के विषय पर राजनीतिक परिचर्चा में एकरूपता की कमी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास रोजगार के विषय पर राज्यों की ओर से मुहैया कराये गए आंकड़े हैं। उदाहरण के लिए पूर्ववर्ती कर्नाटक सरकार ने 53 लाख नौकरियां सृजित करने का दावा किया। पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में 68 लाख नौकरियां सृजित की।’’

मोदी ने सवाल किया, ‘‘अगर राज्य अच्छी खासी संख्या में नौकरियां सृजित करते हैं तब क्या ऐसा संभव है कि देश में रोजगार पैदा नहीं हो रहा हो? क्या ऐसा संभव है कि राज्यों में रोजगार पैदा हो रहा हो और केंद्र बेरोजगारी की स्थिति पैदा करे?’’

उन्होंने कहा कि नई अर्थव्यवस्था में पैदा होने वाली नौकरियों के हिसाब से नौकरियां को गिनने का हमारा तरीका पुराना है। नौकरियों को मापने के सही तरीके के बारे में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि जब हम अपने देश में रोजगार के रुझानों को देखते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारे युवाओं की आशा-आकांक्षाएं अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, देश भर में करीब तीन लाख ऐसे उद्यमी हैं जो कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं। स्टार्ट-अप नौकरियां रोजगार सृजन में प्रोत्साहन के रूप में काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि आज देशभर में लगभग 15,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं, जो हजारों युवाओं को रोजगार देते हैं जिन्हें सरकार किसी न किसी तरह से मदद कर रही है। रोजगार के मामले में विपक्ष के आरोपों पर मोदी ने ईपीएफओ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल संगठित क्षेत्र में 70 लाख नौकरियां पैदा हुई है जबकि अंसगठित क्षेत्र में कुल रोजगार का 80 फीसदी रोजगार पैदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा लघु रिण के तहत 12 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं । ‘‘क्या यह उम्मीद करना अनुचित है कि एक लोन कम से कम एक व्यक्ति के जीवन को समर्थन करने के साधनों को जुटाने में समर्थ है?''

उन्होंने कहा कि यदि सड़क निर्माण में वृद्धि हुई है, यदि रेलवे, राजमार्ग, एयरलाइंस आदि में जबरदस्त वृद्धि हुई है, तो यह क्या इशारा करता है? क्या ये सभी आधारभूत ढांचे का विकास लोगों की भागीदारी के बिना संभव हो पाएगा? किसानों की आय दोगुणी करने के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि पहले किसान ऐसे तरीकों से खेती करने को मजबूर थे, जो अवैज्ञानिक तरीके थे। यूरिया के लिए लाठियों का सामना करना पड़ता था। अब खेती को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। यूरिया की कमी नहीं है और किसानों को उनकी लागत पर डेढ गुणा न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। प्रधानमंत्री ने निजी क्षेत्र से कृषि में निवेश बढ़ाने की अपील की।

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