शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता के गलियारों की तरफ बढ़ती दिख रही है, लेकिन पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल की आज सुजानपुर सीट से हार को राज्य में बड़े उलटफेर के तौर पर देखा जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री को उनके कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी राजिंदर सिंह राणा ने करीब 1911 वोट से हराया। धूमल ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि नतीजा अप्रत्याशित है और पार्टी आत्मविश्लेषण करेगी।
उन्होंने भाजपा की शानदार जीत के लिए विजयी उम्मीदवारों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी।
किसान से अंग्रेजी के शिक्षक बनने और फिर राजनीति में आने वाले धूमल को पर्वतीय राज्य में आम आदमी का प्रतिनिधि माना जाता है जोकि उनके राजनीतिक विरोधी और निवर्तमान कांग्रेस मुख्यमंत्री ‘राजा’ वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व के एकदम उलट है जो एक शाही परिवार से आते हैं।
निचले पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले सभ्य, मृदु भाषी और विनम्र नेता धूमल ने भाजपा में धीरे धीरे अपनी जगह बनाई और उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी। वह मार्च, 1998 से मार्च, 2003 तक पहली बार मुख्यमंत्री रहे जब उन्होंने भाजपा-हिमाचल विकास कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया और दूसरी बार जनवरी, 2008 से दिसंबर, 2012 तक प्रदेश की कमान संभाली।
उनके समर्थकों का कहना है कि धूमल का मिलनसार स्वभाव और आसानी से आम आदमी के बीच घुलमिल जाना उनकी विशेषताएं हैं। अंग्रेजी में परास्नातक और कानून में स्नातक धूमल तीन बार सांसद और प्रदेश विधानसभा में दो बार विपक्ष के नेता रहे हैं।