नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017, जिसे मुख्य रूप से दो दिग्गज नेताओं कांग्रेस के वीरभद्र सिंह और भाजपा के प्रेम कुमार धूमल के बीच माना जा रहा है, विधानसभा सीटों के लिहाज से भी दिलचस्प रहने वाला है। दोनों ही नेता अपनी पिछली जीती हुईं सीटें शिमला (ग्रामीण) और हमीरपुर को छोड़कर दूसरी सीटों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन दोनों सीटों के बजाय एक ऐसी सीट भी है, जिस पर पूरे हिमाचल की नजरें टिकी रहने वाली है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सीट संख्या-33 मंडी विधानसभा। मंडी लोकसभा और जिले का यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। वर्तमान समय में इस क्षेत्र की कुल आबादी 112,238 है और क्षेत्र में कुल मतदाता की संख्या 69,270 है। मंडी को 'छोटी काशी' या 'हिमाचल की काशी' के रूप में जाना जाता है। मंडी में कुल 81 मंदिर हैं, जिनकी संख्या वाराणसी (80) से 1 अधिक है। यह नगर अपने प्राचीन मंदिरों और उनमें की गई शानदार नक्काशियों के लिए मशहूर हैं।
बात करें क्षेत्र की राजनीति की, तो यहां हमेशा से ही कांग्रेस का बोलबाला रहा है। 1990 में हुए विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो 1977 से हुए अब तक विधानसभा चुनावों में बाजी कांग्रेस के हाथ ही लगी है।
मंडी विधानसभा क्षेत्र पर 1977 से एक ही परिवार का कब्जा है। पूरे हिमाचल प्रदेश में मंडी विधानसभा ही एक मात्र ऐसी सीट है, जहां अब तक एक ही परिवार राज करता आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास कोई बड़ा नाम नहीं होने के कारण पार्टी इस क्षेत्र में अपना अस्तित्व तलाश रही है। वर्तमान में इस क्षेत्र से विधायक अनिल शर्मा हैं।
अनिल शर्मा, पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुखराम के बेटे हैं। अनिल ने पिछले एक दशक से मंडी पर कब्जा किया हुआ है। पिछले चुनावों में उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के हाथ के साथ ही चुनाव लड़ा और जीते। सिंह की सरकार में पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा ने पिछले दिनों हुई पार्टी में खटपट के बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया और फिलहाल भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं कांग्रेस के खेमे से भाजपा खेमे में पहुंचे क्षेत्रीय राजनीति के कद्दावर नेता अनिल के जाने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने मंडी विधानसभा से चंपा ठाकुर को मैदान में उतारा है। चंपा ठाकुर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की बेटी हैं और जिला परिषद की अध्यक्ष हैं। चंपा के नामांकन के बाद इस सीट पर जंग दोनों नेताओं के बीच तेज हो गई है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के नरेंद्र कुमार और साथ ही चार अन्य निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में जनता के बीच अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं।
हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार मंडी विधानसभा पर एक तरफ एक ऐसा परिवार है, जो पिछले विधानसभा चुनावों से अजेय रहा है, जबकि एक तरफ वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री की बेटी। आंकड़ों के मुताबिक, यहां वर्चस्व पार्टी का नहीं एक परिवार का रहा है, तो देखना दिलचस्प रहेगा कि जनता पार्टी को चुनती है या फिर परिवार को। हिमाचल प्रदेश में मतदान 9 नवंबर को होना है और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को की जाएगी।