नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पहाड़ों पर पारा लगातार गिरता चला जा रहा है, लेकिन राज्य का राजनीतिक तापमान हर दिन चढ़ता जा रहा है। इस चुनाव की खास बात यह है कि प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एक ऐसी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जहां पिछले एक दशक से भारतीय जनता पार्टी का परचम लहरा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक और सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 2017 विधानसभा चुनाव के लिए अर्की निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया है। शिमला लोकसभा क्षेत्र के सोलन जिले की अर्की विधानसभा में वर्तमान समय में 84,834 मतदाता हैं।
अर्की विधानसभा सीट कई मायनों में अपने आप में खास है। दरअसल, इसके पीछे कारण यहां की जनता का विश्वास है। अर्की की जनता ने 1993-2003 तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ को थामे रखा, लेकिन 2007 के बाद हुए दो चुनाव में जनता ने कमल खिलाकर कांग्रेस को इस क्षेत्र से बेदखल कर दिया। हिमाचल कांग्रेस के सुप्रीमो वीरभद्र सिंह ने इस दफा अर्की से नामांकन दाखिल कर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। वीरभद्र सिंह का यह इतिहास रहा है कि जब-जब उन्होंने अपनी सीट छोड़कर नई सीट से चुनाव लड़ा है, वहां की जनता ने उनका साथ दिया है।
वीरभद्र सिंह ने चौथी बार अपना निर्वाचन क्षेत्र बदला है। 83 वर्षीय सिंह ने 1983 में जुब्बल, 1985 में कोठकाई, 1990, 1993, 1998, 2003, 2007 में रोहडू और 2012 में शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ा था। रोहडू सीट को अनुसू्चित जाति के लिए आरक्षित किए जाने के बाद वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट को चुना था। इस बार इस सीट से उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।
अर्की विधानसभा पर एक दशक से काबिज भाजपा ने वीरभद्र सिंह के इतिहास को देखते हुए ही मौजूदा विधायक गोविंद राम शर्मा का पत्ता काटकर रत्न पाल सिंह को वीरभद्र सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा है। वीरभद्र सिंह के पिछले रिकॉर्ड के सहारे कांग्रेस करीब डेढ़ दशक तक रहे अपने गढ़ में वापसी की राह खोज रही है।
अर्की विधानसभा के लिए कांग्रेस ने पार्टी के सबसे दिग्गज, आठ बार के विधायक, छह बार के मुख्यमंत्री, पांच बार के लोकसभा सांसद और 50 साल से कोई चुनाव नहीं हारने वाले नेता वीरभद्र सिंह को उतारकर इस सीट को हॉट सीट बना दिया है। सिह ने अपने 50 साल से ज्यादा लंबे करयिर में 13 चुनाव लड़े हैं और अब तक सभी जीते हैं।
उल्लेखनीय है कि अर्की विधानसभा सीट पर 1977 में हुए चुनाव के बाद से यहां की जनता ने दोनों ही पार्टियों पर परस्पर भरोसा दिखाया है। अभी तक हुए नौ विधानसभा चुनाव में चार बार कांग्रेस और चार बार भाजपा को यह सीट मिली, जबकि एक बार यह सीट जनता पार्टी के हाथ लगी थी। हिमाचल प्रदेश में 68 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 9 नवंबर को होना है। वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी।