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इंजीनियरिंग की पढ़ाई भले ही अधूरी रही, लेकिन राजनीति में परिपक्व साबित हुए हेमंत सोरेन

झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने रविवार को झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने पांच साल पहले झारखंड विधानसभा का चुनाव हारने के बाद 23 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 29, 2019 15:57 IST
Hemant Soren- India TV Hindi
Hemant Soren

रांची: झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने रविवार को झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने पांच साल पहले झारखंड विधानसभा का चुनाव हारने के बाद 23 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पांच साल के बाद स्थिति बदली। विधानसभा चुनाव में भाजपा अकेले चुनाव में उतरी और उसे करारी हार मिली। झामुमो नेता सोरेन ने कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत हासिल किया।

हेमंत सोरेन ने 38 वर्ष की उम्र में पहली बार 13 जुलाई, 2013 को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। वह इस पद पर 23 दिसंबर, 2014 तक बने रहे और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर वह 28 दिसंबर, 2014 तक पद पर बने रहे। दस अगस्त 1975 को जन्मे सोरेन पूर्व केन्द्रीय मंत्री और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन के पुत्र हैं। शिबू सोरेन ने राज्य की कमान तीन बार संभाली लेकिन एक बार भी वह सरकार चला नहीं सके।

हेमंत ने यहां बीआईटी में इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था लेकिन वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके। वह 24 जून, 2009 से चार जनवरी, 2010 तक झारखंड से राज्यसभा के सदस्य रहे। सितंबर, 2010 में गठित हुई अर्जुन मुंडा की सरकार में हेमंत ने उपमुख्यमंत्री का पद संभाला। उपमुख्यमंत्री के साथ ही उन्होंने वित्त मंत्रालय भी संभाला। विपक्ष के नेता के तौर पर हेमंत सोरेन दिसंबर 2014 से अब तक जन मुद्दों की बात करते रहे। उन्होंने विशेषकर आदिवासियों की जमीन, जंगल की बात की और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की राज्य सरकार की कोशिशों का जमकर विरोध किया जिससे उन्हें गरीबों और आदिवासियों का भरपूर समर्थन मिला।

हेमंत ने अकेले चुनाव लड़कर 2014 में अपनी झामुमो को 19 सीट दिलाई। जबकि इससे पूर्व 2009 के चुनाव में उनके पिता के नेतृत्व में झामुमो ने सिर्फ 18 सीटें जीती थीं। इससे उनके नेतृत्व को लेकर पार्टी में चल रहा विरोध हमेशा के लिए दब गया। इस बार हेमंत ने 2014 की भूल को सुधारते हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन तैयार किया और राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए राज्य में बड़ी पार्टी होते हुए भी कांग्रेस को अधिक सीटें लड़ने को दीं।

झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में हुए विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले विपक्षी झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। उसने सत्ताधारी भाजपा को पराजित किया जिसे इन चुनावों में सिर्फ 25 सीटें प्राप्त हुईं जबकि 2014 में उसे 37 सीटें और उसके सहयोगी आजसू को पांच सीटें प्राप्त हुई थीं। हेमंत सोरेन ने 23 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद गठबंधन सहयोगियों के साथ 24 दिसंबर को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था। राज्यपाल ने 25 दिसंबर को उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री मनोनीत कर 29 दिसंबर को शपथग्रहण के लिए आमंत्रित किया था।

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