नई दिल्ली: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई थी। टक्कर ना सिर्फ स्थानीय नेताओं के बीच थी बल्कि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच का मुकाबला भी माना जा रहा था और इस जंग में कहीं ना कहीं राहुल गांधी पीएम मोदी पर भारी पड़ गए। इस जीत के बाद राहुल गांधी ने कहा कि वो बीजेपी को 2019 में भी हराएंगे। अब एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजों ने सियासत के गलियारों में नया सवाल उछाला है। क्या राहुल को पीएम मोदी की ताकत के तिलिस्म का तोड़ मिल गया है?
इस जीत के बाद राहुल गांधी ने कहा, ‘’बीजेपी की एक विचारधारा है, हम उस विचारधारा के खिलाफ लड़ेंगे और उनको हम हराएंगे। हमने आज हराया है और 2019 में भी हराएंगे मगर हम किसी को भारत से मुक्त नहीं करना चाहते हैं।‘’ राहुल का ये भरोसा इसलिए है क्योंकि करीब 5 साल बाद देश ने पहली बार सियासत की अलग तस्वीर देखी। इन नतीजों के कई मायने हैं क्योंकि इन चुनावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था।
राहुल गांधी पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे और उनके नेतृत्व में कांग्रेस की ये पहली बड़ी जीत है। कांग्रेस बीजेपी को उन राज्यों में रोकने में कामयाब रही जहां उसकी सियासी ज़मीन मज़बूत थी। इन नतीजों से साफ है कि अब राहुल पीएम मोदी के लिए चुनौती बन सकते हैं। मोदी के पीएम बनने के बाद जितने भी चुनाव हुए उनमें एकाध को छोड़ बीजेपी ने सबमें फतह हासिल की और मोदी जीत की गारंटी बन गए।
अब ये नतीजे पीएम के लिए भी चुनौती हैं और वो इसलिए क्योंकि उन्होंने तीनों राज्यों में बीजेपी की जीत के लिए ज़बरदस्त ज़ोर लगाया था। एमपी में मोदी ने 10 रैलियां कीं जबकि राहुल ने 27 रैलियां। राजस्थान में पीएम के 10 के मुकाबले राहुल गांधी ने 24 रैलियां की और छत्तीसगढ़ में पीएम ने 5 रैलियां कीं वहीं राहुल ने 19। अब बीजेपी जवाब तलाश रही है क्योंकि ये हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है।
इस हार से पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी को झटका लगा है क्योंकि मोदी के पीएम बनने के बाद साढ़े 4 साल में बीजेपी की ये सबसे बड़ी हार है। इससे पहले पंजाब में भी बीजेपी कांग्रेस से हार गई थी जबकि गुजरात में उसने सरकार तो बचा ली लेकिन सीटें घट गईं। अब इस नफे नुकसान को बीजेपी भी समझ रही है हालांकि उसे मोदी की करिश्माई इमेज पर अब भी यकीन है।
बीजेपी के लिए ये हार इसलिए भी मायने रखती है कि 2014 में पीएम मोदी की जीत के बाद जिस पार्टी ने देश के 21 राज्यों में सत्ता काबिज़ कर ली थी वो कुनबा अब घटने लगा है। अब सिर्फ़ 15 राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी अकेले और सहयोगियों के दम पर सत्ता में है। अब यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, असम, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, में बीजेपी या बीजेपी गठबंधन की सरकार है, जबकि कांग्रेस पंजाब, पुड्डूचेरी, कर्नाटक, एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान तक पहुंच गई है।