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BJP ने कहा, पंजाब की लोकल पॉलिटिक्स के दबाव में हरसिमरत ने दिया इस्तीफा

केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर के इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी नेशनल यूनिट की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।

Reported by: IANS
Published on: September 17, 2020 22:45 IST
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Image Source : PTI FILE भारतीय जनता पार्टी का मानना है हरसिमरत कौर के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के पीछे पंजाब की स्थानीय राजनीति प्रमुख वजह है।

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर के इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी नेशनल यूनिट की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी का मानना है हरसिमरत कौर के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के पीछे पंजाब की स्थानीय राजनीति प्रमुख वजह है। हालांकि, बीजेपी को अब भी उम्मीद है कि वह इस मसले पर सहयोगी दल से बातचीत कर मामले को सुलझा लेगी।

भाजपा में आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, ‘तीनों कृषि बिलों से किसानों को ही फायदा पहुंचने वाला है। लेकिन पंजाब में जिस तरह से कांग्रेस ने झूठ फैलाया है, उससे मुझे लगता है कि शिरोमणि अकाली दल भी स्थानीय राजनीति के दबाव में आ गई। जिसकी वजह से हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिलाया गया। जबकि तीनों बिलों से किसानों को होने वाले फायदे से शिरोमणि अकाली दल भी वाकिफ है।’ गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भाजपा तीनों बिलों को लेकर फैलाए जाने वाले झूठ का लगातार पदार्फाश कर रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आदि विरोधी राजनीति दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हटाने का झूठ फैला रहे हैं। जबकि तीनों बिलों से एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी ही नहीं एपीएमसी भी नहीं हट रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष ने जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की थी, उसी तरह से कृषि सुधारों से जुड़े इन तीनों बिलों पर भी विपक्ष झूठ फैला रहा है। गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि वर्षों से किसानों की चली आ रही मांगों को ही इन तीनों बिलों के जरिए सरकार पूरा करने की कोशिश कर रही है।

दरअसल, मौजूदा संसद सत्र मोदी सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन प्रमुख बिल लेकर आई है। जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है। पहला बिल है अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम का। दूसरा, द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिटेशन) नाम का बिल है। इसके जरिये हर किसी को कृषि उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देने की मंशा है। तीसरा बिल है फार्मर (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज का। इसके जरिये अनुबंध आधारित खेती को वैधता प्रदान होगी। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि ये बिल किसानों को नहीं बल्कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।

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