इंदौर: गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन की अगुवाई के बाद इन दिनों मध्य प्रदेश में किसानों के मुद्दों को लेकर सक्रिय हार्दिक पटेल का कहना है कि वह फिलहाल चुनावी राजनीति में किस्मत नहीं आजमाएंगे। पटेल ने शनिवार को इंदौर में कहा, ‘मेरा चुनाव लड़ने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है। मेरा न तो कोई राजनीतिक मकसद है, न ही मैं किसी सियासी दल का चेहरा हूं। मैं केवल समाज और कृषि क्षेत्र के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहा हूं। मैं चुनावी सियासत में उतरने के बारे में उचित समय पर फैसला करूंगा।’
उन्होंने एक सवाल पर गुजरात के दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला (77) के कांग्रेस छोड़ने को उनकी उम्र के लिहाज से अच्छा निर्णय बताया, लेकिन कहा कि गुजरात के अगले विधानसभा चुनावों में वाघेला के साथ किसी संभावित गठबंधन को लेकर उनकी फिलहाल न तो कोई योजना है, न ही इस सिलसिले में दोनों नेताओं के बीच कोई बात हुई है। पटेल ने मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में पिछले महीने किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में 5 लोगों की मौत पर शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली राज्य सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी किसानों की आवाज दबाई जा रही है।
उन्होंने चुनौती भरे तेवर से कहा, ‘मैं लगातार मध्य प्रदेश आऊंगा और पूरी मजबूती से आऊंगा। जिसे जो करना है, कर ले। मैं आने वाले कुछ महीनों में ग्वालियर और अन्य स्थानों पर किसान सभाओं में भाग लूंगा।’ पटेल ने मांग की कि देश भर में किसानों का कर्ज माफ किया जाए, 50 साल से ज्यादा उम्र वाले किसानों को सरकारी पेंशन मिले और राष्ट्रीय कृषक आयोग बनाया जाए। इसके साथ ही, मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों में पिछले महीने किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लादे गए तमाम आपराधिक मामले वापस लिए जाएं जिनमें अफीम तस्करी के कथित तौर फर्जी मामले शामिल हैं।
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आशंका जताई थी कि मंदसौर जिले में पिछले महीने किसानों को हिंसक आंदोलन के लिए भड़काने में पटेल का हाथ हो सकता है। इस बयान पर पटेल ने पलटवार करते हुए कहा, ‘मैं पिछले महीने की हिंसक घटनाओं से पहले मध्य प्रदेश आया ही नहीं था। लेकिन मेरा नाम लेकर झूठ फैलाया गया। यह सब विजयवर्गीय का किया-धरा है। आखिर उन्हें इस सिलसिले में झूठे तौर पर मेरा नाम लेने की जरूरत ही क्या थी।’