अहमदाबाद: यद्यपि गुजरात के शहरों में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की रैलियों में हिस्सा लेने के लिये बड़ी संख्या में लोग उमड़े लेकिन जब मतदान करने की बारी आई तो उन्होंने भाजपा को चुना। भाजपा की कुल 99 सीटों में से तकरीबन एक तिहाई सीटें राज्य के आठ बड़े शहरों से आईं। हार्दिक ने चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया था। यद्यपि शहरी सीटों की संख्या में 2012 के चुनाव के मुकाबले भाजपा को दो सीटों का नुकसान हुआ है लेकिन वह ज्यादातर शहरी मतदाताओं के समर्थन को हासिल करने में कामयाब रही। दूसरी तरफ ग्रामीण मतदाताओं ने कांग्रेस पर अधिक भरोसा जताया। उसने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सीटों की संख्या में उल्लेखनीय सुधार किया है।
गुजरात की 42 शहरी सीटों में से भाजपा ने 36 पर जीत हासिल की जबकि कांग्रेस के खाते में छह सीटें गईं। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को शहरी क्षेत्रों में 38 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस को सिर्फ चार सीटों से संतोष करना पड़ा था। इनमें से दो अहमदाबाद की और एक-एक राजकोट और जामनगर शहर की सीटें थीं। 42 सीटें आठ बड़े शहरों की हैं। अहमदाबाद शहर में 16 सीटें हैं। वहां भाजपा के खाते में 12 और कांग्रेस की झोली में चार सीटें गईं। 2012 के विधानसभा चुनावों में यह संख्या क्रमश: 14 और दो थी। दरियापुर और दानीलिमडा :एससी: सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के अतिरिक्त कांग्रेस को इसबार बापूनगर और जमालपुर-खाड़िया सीट पर भी जीत मिली।
गांधीनगर शहर में दोनों पार्टियों ने एक-एक सीट अपनी झोली में डाली जबकि जूनागढ़ शहर की एक सीट कांग्रेस के खाते में इसबार गई। पहले यह सीट भाजपा की झोली में थी। इन शहरों को छोड़कर भाजपा ने अन्य सभी बड़े शहरी क्षेत्रों में क्लीन स्वीप किया। उसने राजकोट की सभी तीन सीटें, जामनगर की दो सीटों, भावनगर की दो शहरी सीटों, वड़ोदरा शहर की सभी पांच सीटों और सूरत शहर की सभी 11 सीटों पर जीत हासिल की।
दूसरी तरफ, ग्रामीण क्षेत्रों पर भाजपा की पकड़ ढीली पड़ी। वहां मतदाताओं ने कांग्रेस को ज्यादा तरजीह दी। चुनाव के नतीजे दर्शाते हैं कि भाजपा को 14 ग्रामीण सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। उसने उतनी ही सीटें अपनी झोली में डालीं। साल 2012 में कांग्रेस ने ग्रामीण क्षेत्र की 57 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस की ग्रामीण क्षेत्र की सीटों की संख्या इसबार 57 से बढ़कर 71 हो गई।