नई दिल्ली: गुजरात चुनाव में पाटीदारों का आरक्षण बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस पाटीदारों को अपने पाले में लाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है और हार्दिक पटेल से डील की तैयारी कर रही है लेकिन गुजरात कांग्रेस के सीनियर नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष मोहन सिंह राठवा ने सनसनीखेज बयान दिया है कि पटेलों को एक फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने की हैसियत किसी की नहीं है। तो क्या हार्दिक और कांग्रेस पटेलों को धोखा दे रहे हैं?
पिछले दो दशक से पटेल भाजपा के परंपरागत वोटर रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस सबसे ज्यादा पाटीदारों पर डोरे डाल रही है। कांग्रेस पर्दे के पीछे पूरा जोर लगा रही है कि किसी तरह हार्दिक पटेल इस चुनाव में खुलकर समर्थन कर दें लेकिन इस जोड़तोड़ में पाटीदारों की आरक्षण की मांग पीछे छूटती दिख रही है। आरक्षण की सीमा की मजबूरी वाला बयान मोहन सिंह राठवा ने आदिवासी समाज के एक प्रोग्राम में दिया। उन्होंने साफ किया कि कोई भी पार्टी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं कर सकती है। ऐसे में गुजरात के पटेलों को एक फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने की हैसियत ना तो कांग्रेस की है और ना ही भाजपा की।
गुजरात का जाति समीकरण
- कोली----24%; आदिवासी----17%; पाटीदार----16 %
- ब्राह्मण----4%; राजपूत----4%; बनिया----3%
- मुस्लिम----8.5%; ईसाई----0.75%; पारसी----0.2%
अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस पाटीदारों को झूठे सब्जबाग दिखा रही है? क्या हार्दिक पटेल आरक्षण के नाम पर कांग्रेस से सौदेबाजी कर रहे हैं और दोनों पाटीदारों को धोखा दे रहे हैं? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि हार्दिक पटेल बार-बार कांग्रेस को लेकर अपना स्टैंड बदल रहे हैं। पहले उन्होंने कांग्रेस को 3 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया था फिर अचानक ही आरक्षण पर स्टैंड क्लियर करने की डेडलाइन बढ़ाकर 7 नवंबर कर दी।
क्या है पटेलों की मांग?
- ओबीसी कोटे में पाटीदारों को आरक्षण दिया जाए
- पाटीदारों को सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ मिले
- कॉलेजों के एडमिशन में पटेलों को आरक्षण का लाभ मिले
- पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए पटेलों को मुआवजा
- हिंसा में मारे गए लोगों के परिवार को सरकारी नौकरी दी जाए
- आंदोलन के दौरान पटेल युवकों पर लगे पुलिस केस वापस हो
पाटीदारों के बहाने गुजरात में 22 साल बाद सत्ता हासिल करने की कांग्रेस की मुहिम परवान चढ़ने से पहले ही मुश्किल में फंसती दिख रही है। हार्दिक पटेल आऱक्षण की मांग को लेकर इतने आगे बढ़ चुके हैं कि अगर बिना ठोस आश्वसान के वो कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं तो इसे पाटीदारों से धोखा माना जाएगा और कांग्रेस के सामने मजबूरी है कि वो पचास फीसदी से ज्यादा आरक्षण की वकालत नहीं कर सकती।
गुजरात में पाटीदार पावर
- गुजरात में 1995 से भाजपा की सरकार है
- गुजरात में 16 फीसदी वोटर पाटीदार हैं
- पाटीदारों के दो धड़े हैं, कड़वा और लेहुआ
- पाटीदारों में 60% लेहुआ, 40% कड़ुआ हैं
- दो-तिहाई पटेल भाजपा को वोट करते हैं
- 2012 में 63% लेहुआ पटेल ने BJP को वोट दिया
- 83% कड़ुआ पटेल का वोट BJP को गया
- 15% लेहुआ, 7% कड़ुवा पटेल कांग्रेस के साथ
- गुजरात में 24 फीसदी से ज्यादा कोली समाज के लोग
- 4 फीसदी ब्राह्मण, 4.8 फीसदी राजपूत वोटर
- 17.61% आदिवासी , 8.53 फीसदी मुस्लिम
- 0.75% ईसाई, 0.21 फीसदी पारसी वोटर हैं
- उत्तर गुजरात में कांग्रेस सबसे मज़बूत है
- दक्षिण गुजरात और कच्छ में कांग्रेस कमज़ोर
- सौराष्ट्र, दक्षिण और मध्य गुजरात में भाजपा का दबदबा
- कच्छ और उत्तर गुजरात में भी भाजपा मज़बूत
बता दें कि तीन दिन के गुजरात दौरे के आखिरी दिन यानि आज राहुल गांधी की सूरत में रैली है। हार्दिक पटेल भी आज सूरत में होंगे लेकिन हार्दिक की मानें तो दोनों की मुलाकात नहीं होगी। लेकिन हार्दिक पटेल ने ये जरूर कहा है कि उनके समर्थक चाहें तो राहुल की रैली में शामिल हो सकते हैं। चर्चा ये भी है कि हार्दिक पटेल के एजेंडे में आरक्षण से ज्यादा जोर भाजपा को हराने में है। यही वजह है कि पाटीदार समाज की 6 संस्थाएं भी खुलकर हार्दिक के खिलाफ खड़ी हो गई हैं और उनपर कांग्रेस के साथ सीक्रेट डील करने का आरोप लगा रही हैं।