नई दिल्ली: गुजरात चुनाव के प्रचार में जारी वीडियो वार में एक और नया वीडियो जुड़ गया है। इस वीडियो में अब 'अजान' पर घमासान मचा है। आरोप वोटों के ध्रुवीकरण का है। इस वीडियो के जरिए गुजरात में कांग्रेस के पुराने शासन पर भी निशाना साधा गया है जिसके खिलाफ अब क्राइम ब्रांच से लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की गई है। इस वीडियो में अंधेरे में घबराई हुई एक लड़की सड़कों पर तेज कदमों से घर की तरफ आती दिख रही है। वक्त शाम के सात बजकर 10 मिनट का है। लड़की सुनसान सड़क पर अकेली चल रही है और पीछे से अजान की आवाज आ रही है। वहीं दूसरी तरफ घर में इस लड़की के परिवारवाले परेशान हैं। पिता को घबराहट हो रही है तो मां भगवान के सामने अपनी बेटी के सकुशल घर पहुंचने की प्रार्थना कर रही है।
थोड़ी देर में घर का कॉलवेल बचता है। मां हड़बड़ी में घर के दरवाजे को खोलती है और बेटी अपनी मां के गले से लिपट जाती है तभी परेशान पिता इस तरह दरवाजा बंद करते हैं जैसे कोई उनकी बेटी का पीछा कर रहा था। वीडियो में घर पहुंचते ही जहां लड़की राहत की सांस लेती है वहीं घरवाले को भी सुकून मिलता है।
1 मिनट 15 सेकेंड के इस वीडियो की शुरुआत 'गुजरात में शाम 7 बजे के बाद ऐसा हो सकता है?' के साथ होता है। वीडियो में दिख रहे इन किरदारों के जरिए बताने की कोशिश हुई है कि बाइस साल पहले गुजरात में ऐसे ही हालात थे। बहू-बेटियों का रात में घर से बाहर निकलना महफूज नहीं था। अगर फिर से उसी पार्टी की सरकार आई तो हालात असुरक्षा का वैसा ही माहौल लौट आएगा।
फिर वीडियो में दिखरही लड़की कहती है इस बार ऐसा नहीं होगा और वीडियो के आखिर में लिखा आता है हमारा वोट, हमारी सुरक्षा लेकिन डरने की कोई बात नहीं है। कोई नहीं आएगा क्योंकि यहां मोदीजी हैं। 1 मिनट 15 सेकेंड के इसी वीडियो ने गुजरात के सियासी जंग को और गर्म कर दिया है। इस वीडियो के खिलाफ वकील गोविंद परमार ने चुनाव आयोग और क्राइम ब्रांच, अहमदाबाद को शिकायत की है। आरोप है कि वीडियो को भाजपा समर्थकों ने जारी किया है और इस वीडियो के जरिए एक खास समुदाय के प्रति नफरत और भय का माहौल बनाकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है।
बता दें कि इससे पहले भाजपा की ओर से जारी की गई एक और प्रचार वीडियो में पप्पू शब्द के इस्तेमाल को चुनाव आयोग ने अपमानजनक माना था और कांग्रेस की शिकायत पर भाजपा को पप्पू शब्द को वीडियो से हटाने को कहा था। अब इस नए वीडियो पर विवाद हो गया है और फैसला चुनाव आयोग को लेना है।