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गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 की तारीखों का हुआ ऐलान, 9 और 14 दिसंबर को मतदान, 18 को घोषित होंगे परिणाम

गुजरात चुनावों में इस बार 50,128 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। गोवा के बाद हिमाचल और गुजरात ऐसे राज्य होंगे जहां चुनावों में शतप्रतिशत वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा।

Written by: India TV News Desk
Updated : November 09, 2017 12:06 IST
Gujarat-Elections-2017
Gujarat-Elections-2017

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा कर दी है। गुजरात विधानसभा चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे। पहले चरण का चुनाव 9 दिसंबर जबकि दूसरे चरण का चुनाव 14 दिसंबर को होगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश, दोनों जगह वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी। गुजरात चुनावों में इस बार 50,128 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। गोवा के बाद हिमाचल और गुजरात ऐसे राज्य होंगे जहां चुनावों में शतप्रतिशत वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा।

पिछले 22 साल से गुजरात की सत्ता पर काबिज भाजपा एक बार फिर जनादेश लेने के लिए नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनता के सामने जाएगी वहीं काग्रेस सत्ता के सूखे को खत्म करने के लिए राहुल गांधी के नेतृत्व में बिगुल फूंक चुकी है। 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 115 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस को 61 सीटों से संतोष करना पड़ा था। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को बड़ा फायदा मिला। उसने गुजरात की सभी 26 सीटों पर कब्ज़ा कर लिया जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला।

लाइव अपडेट्स

  • 182 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 89 सीटों पर चुनाव होगा। 14 नवंबर से नामांकन होगाः चुनाव आयोग
  • वोटर के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू किए जाएंगे। चुनाव आयोग मोबाइल ऐप की शुरुआत होगी। वीइकल और कर्मचारियों को ई-पेमेंट से भुगतान किया जाएगाः चुनाव आयोग
  • 102 बूथों पर महिला स्टाफ तैनात होगा। टीवी, सिनेमाघर और एफएम पर विज्ञापन पर भी नजर रखी जाएगीः चुनाव आयोग
  • कुछ पोलिंग स्टेशन पर वेबकास्टिंग की जाएगी। बॉर्डर चेकपोस्ट्स और कुछ जगहों पर सीसीटीवी लगाए जाएंगेः चुनाव आयोग
  • उम्मीदवारों को अलग अकाउंट खुलवाना होगा जिससे वह चुनाव में खर्च कर सकता हैः चुनाव आयोग
  • गुजरात चुनाव में उम्मीदवारों के खर्च की सीमा 28 लाख होगीः चुनाव आयोग
  • गुजरात में आदर्श आचार संहिता लागूः चुनाव आयोग
  • चुनाव के दौरान विडियॉग्रफी भी की जाएगी। नामांकन, मतगणना, ईवीएम स्टोरेज, कैंपेन के समय विडियॉग्रफी होगी। सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगेः चुनाव आयोग
  • गुजराती भाषा में भी गाइड मौजूद रहेगी। वीवीपैट का भी इस्तेमाल किया जाएगाः चुनाव आयोग
  • गुजरात में 4.3 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर हैं। 50 हजार 128 पोलिंग स्टेशनों पर मतदान होगाः चुनाव आयोग
  • गुजरात में 50 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ बनाए जाएंगेः चुनाव आयोग
  • गुजरात में 182 सीटों पर चुनाव होना है। इस बार पोलिंग बूथों की संख्या बढ़ाई गई हैः चुनाव आयोग
  • चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर रहा है

वोट शेयर की अगर बात करें तो 2012 में भाजपा को 48 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को केवल 39 फीसदी वोट ही मिल सके। वहीं 2014 में भाजपा को 45 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को केवल 35 फीसदी वोट मिले। 2002 के बाद ये पहला मौका होगा जब नरेन्द्र मोदी भाजपा की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार नहीं होंगे। मोदी के नेतृत्व में भाजपा लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही थी। इस बार गेम कुछ बदल गया है।

चुनाव से पहले प्रोजेक्ट

  • वडोदरा को 3600 करोड़ का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
  • घोघा-दहेज के बीच 600 करोड़ की रो-रो फेरी सर्विस
  • अहमदाबाद-गांधीनगर फेज 2 मेट्रो प्रोजेक्ट को मंजूरी
  • अहमदाबाद में 275 करोड़ की रोबोटिक्स-एक्वाटिक गैलरी
  • भावनगर में फ्लाइओवर, अंबारदी लायन सफारी

भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि पीएम मोदी इस बार सीएम का चेहरा नहीं है और अब तक एक मुश्त वोट देते आ रहे पाटीदारों के तेवर तीखे हैं। कई जगह पिटाई की खबरों के बाद दलित सामाज भी नाराज़ है। चौथी चुनौती है तीन साल में तीन सीएम की। पहले मोदी फिर आनंदी बेन पटेल और अब विजय रूपाणी। पाचंवी चुनौती है, पिछले 22 साल का एंटी इनकंबेंसी फैक्टर, इसके साथ साथ पटेल, दलित और अल्पसंख्यक अगर एकजुट हो जाते हैं तो चुनौती बढ़ जाएगी और सबसे बड़ी चुनौती जीएसटी की है जिससे व्यापारी वर्ग नाराज़ हैं।

भाजपा की इन चुनौतियों को और कड़ा करने में राहुल गांधी भी लगे हुए हैं। राहुल लगातार गुजरात का दौरा कर नए लोगों को पार्टी में जोड़ रहे हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य में कमज़ोर संगठन की है। दूसरी चुनौती ये है कि कांग्रेस के पास सीएम उम्मीदवार का चेहरा नहीं है। पाटीदारों पर ज्यादा भरोसा भी कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकता है। कांग्रेस के अंदर गुटबाज़ी और भीतरघात चल ही रहा है। शंकर सिंह वाघेला भी पार्टी छोड़ कर चुनौती दे रहे हैं। इन चुनौतियों के बावजूद राहुल आक्रामक तेवर अपनाएं हुए हैं। वहीं पीएम मोदी भी एक के बाद एक दनादन दौरे करके चुनावी मैदान में ताल ठोंक चुके हैं।

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