नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकार एक स्वच्छ राजनीतिक फंडिंग प्रणाली विकसित करने की दिशा में सक्रियता से काम कर रही है। जेटली ने यहां वित्त मंत्रालय की ओर से आयोजित दिल्ली इकॉनोमिक्स कॉन्क्लेव 2017 में कहा, "जब हम इस विषय पर विचार करते हैं कि राजनीतिक प्रणाली में धन कैसे पहुंचे तो हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में यह स्वच्छ धन हो। हम इसके लिए सक्रियता से काम कर रहे हैं।" ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
जेटली ने कहा कि पिछले 70 वर्षो में भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक फंडिंग 'अदृश्य धन' से होती रही है। वित्तमंत्री ने कहा कि नोटबंदी के साथ ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू किए जाने से यह लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, "प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करदाता आधार के विस्तार से डिजिटीकरण के बढ़ने के संकेत पहले ही दिखाई देने लगे हैं।"
सम्मेलन में सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री थरमन षन्मुगरत्नम भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भारत में जीएसटी लागू होना केवल आर्थिक ही नहीं, राजनीतिक परिदृश्य में भी प्रभावशाली है। थरमन ने कहा, "अच्छे अर्थशास्त्र के लिए राजनीतिक समर्थन मिलना प्रभावशाली है। भारत में अदृश्य धन और भ्रष्टाचार से जिस प्रकार निपटा जा रहा है, वह प्रभावशाली है।"
उन्होंने कहा कि विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में समान चुनौतियां होती हैं, केवल फर्क इतना है कि भारत की चुनौतियों का पैमाना ज्यादा बड़ा है। उन्होंने कहा, "चुनौतियां समान होती हैं। भारत एकमात्र लोकतंत्र नहीं है, जिसमें अदृश्य धन की समस्या है।"
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