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सरकार की आतंक को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति: गडकरी

नई दिल्ली : भारतीय सैनिकों की घात लगा कर हत्या करने वाले उग्रवादियों के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा म्यामां में जाकर तुरंत कार्रवाई करने के विस्तार में जाए बिना केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा

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Updated : June 11, 2015 8:40 IST
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हमारी आतंक को बर्दाश्त नहीं करने की नीति: गडकरी

नई दिल्ली : भारतीय सैनिकों की घात लगा कर हत्या करने वाले उग्रवादियों के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा म्यामां में जाकर तुरंत कार्रवाई करने के विस्तार में जाए बिना केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार की आतंक और आतंकी संगठनों के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति है।

कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान पहले तो वह इन सवालों को टाल गए कि बैठक में क्या मंत्रियों ने म्यामां के सहयोग से वहां की गई भारतीय सेना की कार्रवाई पर प्रधानमंत्री को बधाई दी।

इस बारे में किए गए और सवालों पर उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक में इस मामले पर चर्चा नहीं हुई और प्रधानमंत्री को ऐसी कोई बधाई नहीं दी गई। गडकरी ने हालांकि कहा, ‘यह पहले ही स्पष्ट है कि आतंक और आतंकी समूहों के प्रति हमारी कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। सेना के अधिकृत प्रवक्ता इस बारे में विस्तृत सूचना दे चुके हैं कि हमारी सेना ने क्या किया।’ उनसे प्रश्न किया गया था कि आतंकी हमला होने की स्थिति में सरकार ने क्या तुरंत जवाबी कार्रवाई करने की नयी नीति बनाई है।

यह पूछे जाने पर कि भारतीय सेना की कार्रवाई में कितने उग्रवादी मारे गए इसके पूरे आंकड़े सेना ने नहीं दिए हैं और क्या सरकार के पास इस बारे में जानकारी है, केन्द्रीय मंत्री ने यही बात दोहराई कि सरकार की नीति है कि जब भी ऐसी घटनाएं होंगी, सेना के अधिकृत प्रवक्ता ही सारी जानकारी देंगे।

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने यह बात सेना को बता दी है और सेना के प्रवक्ता ने आप लोगों को लिखित बयान के आधार पर जानकारी दी है। मुझे इससे आगे कुछ नहीं कहना है।’ केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कल खुलासा किया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय सेना को म्यामां में जाकर तुरंत जवाबी कार्रवाई करने पर आगे बढ़ने को कहा था और उस कार्रवाई में उग्रवादियों के दो शिविर पूरी तरह नष्ट कर दिए गए।

राठौड़ ने यह भी कहा था, ‘इन उग्रवादियों की आदत बन गई है कि भारतीय सेना या अर्धसैनिक बलों या देश के नागरिकों पर हमला करो और फिर सुरक्षित पनाहगाहों के लिए दूसरे की सीमा में भाग जाओ, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि भारतीय सेना वहां उनका पीछा नहीं करेगी।’ उन्होंने कहा, ‘जो लोग हमारे देश पर आतंकी कार्रवाइयों के इरादे पाले हुए हैं उनके लिए यह स्पष्ट संकेत है। हमारे प्रधानमंत्री ने साहसिक कदम उठाया है और म्यामां में तुरंत जाकर कार्रवाई करने पर आगे बढने को मंजूरी दी।

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