नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ दिनों में काफी गिरावट देखने को मिली है। कच्चे तेल की कीमत पिछले 50 दिनों में 86 डॉलर प्रति बैरल से घटकर शुक्रवार को लगभग 50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गई है। क्रूड ऑयल की घटती कीमतों का भारत पर भी असर पड़ा है और एक समय आसमान को छूते दिख रहे पेट्रोल और डीजल के भाव अब कुछ नियंत्रण में लग रहे हैं। ऐसा नहीं है कि तेल की घटती कीमतों से सिर्फ आम आदमी को ही राहत मिली हो, बल्कि इस मुद्दे पर कड़ी आलोचना झेल रही मोदी सरकार के लिए भी यह एक अच्छी खबर है।
मोदी सरकार और भाजपा के लिए यूं है राहत की बात
कच्चे तेल की घटती कीमतों ने मोदी सरकार और भाजपा के सिर से एक बड़े संकट को फिलहाल टाल दिया है। तेल की बढ़ती कीमतें 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों और 2019 में संभावित लोकसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकती थीं, लेकिन चुनावों के ऐन पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट गईं और यह एक चुनावी मुद्दा बनते-बनते रह गया। कच्चे तेल की कीमतें घटने से भारत के इंपोर्ट बिल में जबर्दस्त गिरावट आएगी क्योंकि हमारे यहां बड़े पैमाने पर इसका आयात होता है। यह आर्थिक मोर्चे पर तनाव में दिख रही मोदी सरकार के लिए संजीवनी की तरह है। कच्चे तेल के सस्ता होने से रुपये पर भी दबाव घटेगा और यह डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा। ऐसे में कच्चे तेल की खरीद पर कम पैसे खर्च कर सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च कर सकती है और मोदी 2019 के चुनावों में जनता के बीच मजबूती से जा सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा- शुक्रिया सऊदी अरब
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तेल की घटती कीमतों को लेकर बीते 21 नवंबर को सऊदी अरब को शुक्रिया भी कहा था। ट्रंप ने एक ट्वीट में कहा था, ‘कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं। बहुत बढ़िया! यह तो अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए टैक्स में बड़ी राहत की तरह है। आनंद लीजिए! 54 डॉलर का, कुछ वक्त पहले तक यह 82 डॉलर का था।’ ट्रंप ने आगे कहा, ‘सउदी अरब आप को धन्यवाद, लेकिन अभी इसे और नीचे जाने दें।’ हालांकि ट्रंप के ट्वीट के बाद कच्चे तेल की कीमतों में और कटौती हुई है और शुक्रवार को यह प्रति बैरल 50 डॉलर से थोड़ी ही ज्यादा थी।
जताई जा रही थीं कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका
अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए हालिया प्रतिबंधों के बाद आशंकाएं जताईं जा रही थीं कि कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। हालांकि बाद में ट्रंप ने भारत और चीन समेत कुल 8 देशों को ईरान से तेल का आयात करने के लिए प्रतिबंधों से अस्थायी छूट दे दी थी। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के उत्पादन में भी वृद्धि के चलते इसकी कीमतों में गिरावट देखने को मिली। आपको बता दें कि ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के कम होने का श्रेय भी लिया था। उन्होंने कहा था कि ‘मैंने इसे सस्ता किया है। सउदी अरब ने कच्चे तेल को सस्ता करने में हमारी मदद की है। अभी कच्चा तेल अपेक्षाकृत सस्ता है।’
भारतवासियों को यूं मिली पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में शुक्रवार को पेट्रोल के भाव क्रमश: 75.25 रुपये, 77.22 रुपये, 80.79 रुपये और 78.12 रुपये प्रति लीटर दर्ज किए गए। चारों महानगरों में डीजल की कीमतें क्रमश: 70.16 रुपये, 72.01 रुपये, 73.48 रुपये और 74.13 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गईं। आपको बता दें कि 3 अक्टूबर को दिल्ली में तेल की कीमतें लगभग 84 रुपये प्रति लीटर के आसपास पहुंच गई थीं। आपको पता दें कि पिछले कई दिनों से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट जारी है।
अभी और घट सकती हैं कीमतें
पिछले महीने 3 अक्टूबर को ब्रेंट कूड का भाव 86 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई का भाव 76 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया था। उसके बाद से कच्चे तेल के दाम में करीब 26 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, ब्रेंट क्रूड का दाम 58 डॉलर प्रति बैरल और WTI का भाव 48 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है।