पणजी। गोवा की राजनीति में 2019 का आगाज़ भाजपा के लिए शुभ समाचार लेकर नहीं आया और राज्य में उसके दिग्गज नेता एवं मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का मार्च में निधन हो गया, लेकिन भाजपा ने इस वर्ष दूसरी पार्टियों के विधायकों को खुद में शामिल कर राज्य की सत्ता पर अपनी पकड़ को मजबूत किया। IIT से स्नातक एवं पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर के कैंसर से जंग हारने के बाद गोवा की राजनीति में मनोहर पर्रिकर युग का अंत हो गया।
इसके साथ ही, भाजपा ने कांग्रेस विधायक दल के दो तिहाई सदस्यों को अपने पाले में लाकर राज्य विधानसभा में अपनी स्थिति को मजबूत किया और सरकार चलाने के लिए सहयोगियों की जरूरत को खत्म कर दिया। पर्रिकर के बारे में आधिकारिक तौर पर बताया गया था कि उन्हें ‘अग्नाशय संबंधी बीमारी’ है। उन्होंने राज्य विधानसभा में बजट भी पेश किया था। 17 मार्च 2019 को उनका निधन हो गया।
विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष एवं पर्रिकर के विश्वास पात्र रहे प्रमोद सावंत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनकी सरकार 40 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए सहयोगियों पर निर्भर थी। भाजपा ने अप्रैल में चार सीटों के लिए हुए उपचुनाव में से तीन पर जीत हासिल की और गोवा उत्तर लोकसभा सीट पर भी अपना कब्जा बरकरार रखा। सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के दो विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया।
इसके बाद, जुलाई में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने पाला बदला और वे भगवा दल में शामिल हो गए, जिससे भाजपा का संख्या बल बढ़कर 27 हो गया। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी लेकिन उसका संख्या बल सिकुड़कर पांच रह गया है। बहुमत हासिल करने के बाद सावंत ने सहयोगी गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन मंत्रियों और एमजीपी के शेष एकमात्र विधायक सुदीन धवलीकर को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया।
आर्थिक मोर्चे पर, उच्चतम न्यायालय के आदेश की वजह से लौह अयस्क खनन उद्योग बंद रहा जिससे राज्य को नुकसान होना जारी रहा। राज्य सरकार के मुताबिक, इस कारण सालाना तौर 1400 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। राज्य सरकार ने नवंबर में शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की।
राजस्व के एक और स्रोत-पर्यटन क्षेत्र में भी स्थिति अच्छी नहीं रही। ब्रिटेन की यात्रा कंपनी थॉमस कुक के डूबने की वजह से गोवा आने वाली कई चार्टर्ड उड़ाने रद्द हुईं। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अनुमानित तौर पर मौजूदा सीजन में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आमद में 30 फीसदी तक की गिरावट होगी।