मेरठ: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब नबी आजाद ने आज यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के प्रधानमंत्री टेलीविजन वाले हैं, जबकि हमारे प्रधानमंत्री जमीन से जुड़े थे।
आजाद ने कहा कि आपके प्रधानमंत्री टीवी पर आते हैं और कहते हैं कि हमने 70 साल में क्या किया। वर्तमान में हम 120 करोड़ आबादी के लिए अनाज पैदा करते हैं जबकि आजादी से पहले 20 करोड़ लोगों के लिए भी अनाज नहीं था। चालीस के दशक में आये बंगाल के अकाल में 10 लाख लोग मर गये थे, जबकि आज देश में कोई भूखा नहीं मरता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा विदेश को चावल आदि चीजे बेचते हैं। यह हमने 70 सालों में किया है। आप तो केवल टीवी के प्रधानमंत्री हैं। हमारे प्रधानमंत्री तो जमीन के प्रधानमंत्री थे।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जन्मशताब्दी पर चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इन्दिरा जी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीकरण किया। आप ऋण देश के किसानों और युवाओं को दें, तब किसान और युवा आगे बढ़ेगा। इससे पहले यह बैंक केवल पूंजीपतियों को ऋण देते थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने दस करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन 10 करोड़ युवाओं का रोजगार तो देश में आया नहीं। उसके उल्टा 15 करोड़ लोगों का रोजगार चला गया। जो कपड़े बदन पर थे वह भी उतर गये। इसलिए आज पूरे देश में त्राहि-त्राहि हो रही है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाब नबी आजाद ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब आदमी बना, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति गरीब आदमी बना। यह अच्छी बात है। लेकिन गरीब से अमीर होना बड़ी बात नहीं है। अमीर से गरीब होना बड़ी बात है। उन्होंने महात्मा गांधी,पंडित जवाहर लाल नेहरु का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके पास गाड़ी,बंगला,पैसा सब कुछ था लेकिन फिर भी उन्होंने देश के लिए सब कुछ त्याग दिया। महात्मा गांधी शायद देश का पहला और आखरी हिन्दुस्तानी होगा जिसने अमीर आदमी होते हुए भी सबसे कम कपड़े पहने।
उन्होंने कहा, हम आज इन्दिरा गांधी का सौवां जन्मदिन मना रहे हैं। इन्दिरा को घर चलाने के लिए सांसद या प्रधानमंत्री नहीं बनना था। पंडित नेहरु, इन्दिरा गांधी को मालूम नहीं था कि वह प्रधानमंत्री बनेंगे। जितना इन्दिरा गांधी को जीवन में संघर्ष करना शायद इतना संघर्ष किसी दूसरे नेताओं को करना पड़ा हो।