नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य दर्जा देने का वादा भाजपा से विचार विमर्श के बाद किया था और उन्हें उम्मीद थी कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस वादे को पूरा करेंगे। डा. सिंह ने आज राज्यसभा में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान कहा कि उन्होंने 20 फरवरी 2014 को सदन के पटल पर यह वादा किया था।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा नेता एवं उच्च सदन में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष जेटली के साथ विस्तार से विचार विमर्श के बाद यह प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। डा. सिंह ने कहा कि संसद में किये गये वादों का सम्मान करते हुये इन्हें पूरा किया जाना चाहिये। क्योंकि इनका दर्जा संसद की प्रतिबद्धता के समान होता है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘मुझे उम्मीद थी कि मेरे उत्तराधिकारी इस वादे को पूरा करेंगे क्योंकि यह उनके अपने सहयोगी के साथ विचार विमर्श के बाद किया गया था।’’
इससे पहले राज्यसभा में आज इस मुद्दे पर तेदेपा सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय तत्कालीन संप्रग सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा सहित जो वादे किए थे, भाजपा नीत मौजूदा सरकार उन्हें पूरा करने में नाकाम रही है। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए केंद्र पर दोषारोपण कर रही है। इसके साथ ही भाजपा ने दावा किया कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने की स्थिति में जो राशि आंध्र प्रदेश को मिलती, इस सरकार में उससे कहीं ज्यादा राशि उसे मिल चुकी है तथा तेदेपा राज्य के लोगों को गुमराह कर रही है।
आंध प्रदेश पुनर्गठन कानून, 2014 के उपबंधों को लागू नहीं किए जाने के संबंध में उच्च सदन में अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा लेते हुए तेदेपा के वाई एस चौधरी ने भाजपा और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों ने भाजपा नीत सरकार पर चार साल तक भरोसा किया। अब वहां के लोग निराश और दुखी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही सदन में आश्वासन दिया गया था। इस सरकार ने उसे भी पूरा नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने कैबिनेट के फैसले को भी लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव के दौरान तीन बार कहा था कि राज्य को विशेष दर्जा देंगे।
चौधरी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के संबंध में मार्च में राज्यसभा को दी गयी एक जानकारी में विपरीत बातें की गयी थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का अभाव है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को अब तेदेपा की जरूरत नहीं रह गयी है। उन्होंने केंद्र और प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वह आंध्र प्रदेश को बचाएं एवं संसद में दिये गये वादों को पूरा करें ताकि राज्य आगे बढ़ सके।
चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आजादी के बाद से ही आंध्र प्रदेश को कई बदलाव देखने पड़े हैं और राज्य को पूरी सहानुभूति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों की मांगें जायज थीं। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के पास पर्याप्त संसाधन है जो आंध्र के पास नहीं है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि केंद्र उसे समर्थन करे क्योंकि आंध्र प्रदेश नवजात शिशु की तरह है।