गांधीनगर: गुजरात के RTI कार्यकर्ता अमित जेठवा की 2010 में हुई हत्या के मामले में अदालत ने गुरुवार को सजा का ऐलान कर दिया। अदालत ने इस मामले में दोषी ठहराए गए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी समेत कुल 7 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी है। जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में चल रही अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने कोशिश की थी, जिसके चलते गुजरात हाई कोर्ट के बाहर उनकी हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले अहमदाबाद की CBI की एक विशेष अदालत ने दीनू सोलंकी और 6 अन्य को शनिवार को दोषी करार दिया था। आपको बता दें कि अपराध शाखा द्वारा सोलंकी को क्लीनचिट दिए जाने के बाद गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। अदालत ने वर्ष 2009 से 2014 तक गुजरात के जूनागढ़ के सांसद रहे सोलंकी को उनके चचेरे भाई शिव सोलंकी और 5 अन्य के साथ IPC के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोपों में दोषी करार दिया था।
मामले में दोषी पाए गए 5 अन्य आरोपियों में पंचेन जी देसाई, संजय चौहान, शैलेष पंड्या, बहादुरसिंह वढेर और उदयजी ठाकोर हैं। वकील जेठवा ने RTI के जरिए दीनू सोलंकी की कथित संलिप्तता वाली अवैध खनन गतिविधियों को उजागर करने की कोशिश की थी। जेठवा ने 2010 में एशियाई शेरों के वास स्थान गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की थी। इस जनहित याचिका में दीनू सोलंकी और शिव सोलंकी प्रतिवादी बनाए गए थे। जेठवा ने अवैध खनन में उनकी संलिप्तता को उजागर करने के लिए कई दस्तावेज पेश किए थे।
जनहित याचिका पर सुनवाई के समय ही गुजरात हाई कोर्ट के बाहर 20 जुलाई 2010 को जेठवा को मार डाला गया था। इसके बाद मृतक के पिता भीखा भाई जेठवा ने हाई कोर्ट का रुख किया था जिसके बाद मामले की जांच नए सिरे से शुरू हुई। जेठवा के पिता ने हाई कोर्ट से कहा था कि आरोपियों द्वारा दबाव डालने के चलते उनके कई गवाह अपनी गवाही से मुकर गए थे।