देहरादून: उत्तराखंड स्थानीय निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को टक्कर देने की तैयारी कर रही कांग्रेस की आंतरिक कलह उस समय सामने आ गई जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी की राज्य इकाई द्वारा आयोजित मोटरसाइकिल रैली में कथित रूप से शामिल नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी व्यक्त की।
‘‘बढ़ती बेरोजगारी’’, नोटबंदी और जीएसटी के मामलों पर लोगों का ध्यान खींचने के लिए रैली का आयोजन किया गया था। रावत ने मंगलवार को फेसबुक पर अपनी पोस्ट में लिखा, ‘‘यदि मुझे कोई जिम्मेदारी दी जाती तो मुझे रैली में भाग लेकर खुशी होती।’’ हालांकि उन्होंने इतने ‘‘बड़े स्तर पर’’ और ‘‘प्रभावशाली’’ रैली आयोजित करने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस को बधाई दी और पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह से अनुरोध किया कि वह भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों के बारे में उन्हें पूर्व जानकारी दें।
रावत ने कहा कि देहरादून में मोटरसाइकिल रैली के बारे में न तो उनकी सिंह से बात हो पाई और न ही उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश के हलद्वानी में धरने के बारे में उनकी इंदिरा से कोई बात हुई। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह कहने के बावजूद मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि हर कार्यक्रम के लिए हर किसी को आमंत्रित करना आवश्यक नहीं है।’’
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड कांग्रेस ने सोमवार को जन चेतना रैली आयोजित की थी। सिंह ने कहा कि रैली के बारे में रावत को सूचित न किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि वह पूर्व मुख्यमंत्री होने के अलावा पार्टी के एक वरिष्ठ नेता भी हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के सभी कार्यक्रमों के बारे में सूचित करती है। सिंह ने कहा, ‘‘उन्हें (रावत को) कैसे छोड़ा जा सकता है।’’ पीसीसी के मुख्य कार्यक्रम संयोजक राजेंद्र शाह ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यालय को 28 जनवरी को व्हाट्सऐप के जरिए रैली के बारे में बता दिया गया था। हालांकि इस प्रकरण से इस साल मार्च-अप्रैल में होने वाले निकाय चुनावों से पहले राज्य में वरिष्ठ पार्टी नेताओं के आपसी संवाद के बीच की कमी की बात सामने आ गई है।