नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के तुरंत बाद भाजपा संसदीय बोर्ड ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी के सामने केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया। नायडू के नाम की घोषणा के साथ ही ये तय हो गया कि पहली बार देश के तीन सबसे बड़े संवैधानिक पदों पर भाजपा नेता आसीन रहेंगे। संसद में राजग का संख्या बल देखते हुए पांच अगस्त को होने वाले चुनाव में वेंकैया का जीतना तय माना जा रहा है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
नायडू मंगलवार को अपना पर्चा भरेंगे। वह दो बार भाजपा अध्यक्ष से लेकर वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वेंकैया नायडू का उपराष्ट्रपति बनना तय नजर आ रहा है। इसके साथ ही पहली बार राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे देश के तीन शीर्षस्थ पदों पर भाजपा नेता आसीन होंगे। इससे पहले वाजपेयी सरकार के समय उपराष्ट्रपति तो भाजपा के भैरोंसिंह शेखावत थे, लेकिन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम गैरराजनीतिक व्यक्ति थे।
नायडू के फ्लैशबैक में देखा जाए तो आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक सीधे-सादे कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी वाक् क्षमता के लिए जाना जाता है। आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुके नायडू कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे। हालांकि वह तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा में पहुंच चुके हैं और फिलहाल उच्च सदन में ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी के समय राजग की पहली सरकार में 68 वर्षीय नायडू ग्रामीण विकास मंत्री रहे। वह जुलाई 2002 से अक्तूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। आपातकाल के समय नायडू एबीवीपी के कार्यकर्ता रहे और जेल में भी रहे।
मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के नाते उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति में सोनिया गांधी समेत विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया। अपने भाषण और वक्तव्यों में तुकांत शब्द बोलने के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है।
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