नई दिल्ली: गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर करने वाली स्मृति ईरानी ने राजनीति में अपना कद काफी ऊंचा किया है। कभी छोटे पर्दे की हर दिल अजीज बहू रही स्मृति अब कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में पहचान बना चुकी है। चुनाव के ठीक बाद अमेठी में एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद उसकी अर्थी को कंधा देकर स्मृति ने एक नई मिसाल पेश की। पिछली बार लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद उन्होंने मानव संसाधन विकास, सूचना और प्रसारण और कपड़ा मंत्रालय जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला।
स्मृति ईरानी ने गुरुवार को दूसरी बार नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। टीवी की चहेती बहू ‘तुलसी’ अब उस पहचान को पीछे छोड़कर एक मंझी हुई राजनीतिज्ञ के रूप में उभरी है। पिछली बार राहुल से अमेठी में एक लाख से अधिक मतों से हारने के बाद उन्होंने अमेठी से नाता नहीं तोड़ा। नतीजतन इस बार फिर उसी संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने ईरानी को फिर उम्मीदवार बनाया। ईरानी को क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने का फायदा मिला और इसके बूते उन्होंने गांधी से पिछली बार मिली हार का बदला लिया।
ईरानी ने अपनी जीत के बाद ट्वीट करके दुष्यंत कुमार की कविता की पंक्तियां लिखी थी,‘‘ कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता।’’ पिछली बार चुनाव हारने के बावजूद उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया और बाद में वह सूचना प्रसारण और फिर कपड़ा मंत्री रही। ईरानी को उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर या बतौर मंत्री कार्यकाल में कई विवादों का सामना करना पड़ा। अपने नामांकन पत्र में उन्होंने कहा था कि वह स्नातक नहीं है। वहीं 2014 चुनाव में उन्होंने कहा था कि वह 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं जिससे उनके दावे की विश्वसनीयता को लेकर विवाद पैदा हो गया था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि वह स्नातक नहीं है।
सूचना प्रसारण मंत्री रहते भी वह कभी प्रसार भारती बोर्ड से लड़ाई तो कभी ‘फेक न्यूज’ को लेकर अधिसूचना जारी करने को लेकर विवादों के घेरे में रही जो बाद में पीएमओ के दखल के बाद वापस ली गई। अमेठी में चुनाव अभियान के दौरान अक्सर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से उनका वाकयुद्ध भी हुआ जिन्होंने उन्हें ‘बाहरी’ करार दिया था। पिछले महीने प्रियंका ने उन पर आरोप लगाया था कि राहुल का अपमान करने के लिए उन्होंने जूते बांटे और कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष की लोकसभा सीट के मतदाता भिखारी नहीं है।
चुनावी राजनीति में उनका पदार्पण 2004 में हुआ जब दिल्ली के चांदनी चौक संसदीय इलाके से वह कांग्रेस के कपिल सिब्बल से हार गई थीं।