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भुजबल को कैद, बाल ठाकरे को जेल भेजने का नियति का बदला: शिवसेना

भुजबल की खिल्ली उड़ाते हुए शिवसेना ने दावा किया कि लगभग दो दशक पहले जब वह महाराष्ट्र के गृह मंत्री थे, उस समय वह बाल ठाकरे को गिरफ्तार करना चाहते थे...

Reported by: Bhasha
Published : May 08, 2018 14:06 IST
uddhav thackeray
uddhav thackeray

मुंबई: राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल की धन शोधन मामले में गिरफ्तारी और कैद को शिवसेना ने भुजबल के मंत्री रहते पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे को जेल भेजने के मामले में ‘‘नियति का बदला’’ करार दिया है। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि राजनीतिक समस्याओं को सुलझाने के लिए कानून और सत्ता का इस्तेमाल कई मौकों पर किया जाता है।

भुजबल (70) मार्च 2016 से जेल में थे। बंबई उच्च न्यायालय ने उनके बुढ़ापे और खराब होते स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें चार मई को जमानत दे दी। भुजबल की खिल्ली उड़ाते हुए शिवसेना ने दावा किया कि लगभग दो दशक पहले जब वह महाराष्ट्र के गृह मंत्री थे, उस समय वह बाल ठाकरे को गिरफ्तार करना चाहते थे। शिवसेना के मुखपत्र ‘‘सामना’’ के संपादकीय में कहा गया है कि पार्टी के दिवंगत संस्थापक के खिलाफ हिंदुत्व के नाम पर भाषण करने और संपादकीय लिखने का मामला दर्ज किया गया।

भाजपा के असंतुष्ट सहयोगी शिवसेना ने इसमें लिखा है, ‘‘भुजबल को कैद, उनके खिलाफ नियति का बदला था। वह बाला साहेब को किसी भी प्रकार से गिरफ्तार करना चाहते थे। हमारे सहयोगी (भाजपा) केंद्र में सत्ता में थे और यहां कानून व्यवस्था कही समस्या से निपटने के लिए दूसरे राज्यों से अतिरिक्त पुलिस बलों को यहां भेजा गया था।’’

शिवसेना ने दावा किया कि इससे यह साबित हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का तभी से एक गुप्त गठबंधन चल रहा है। इसमें कहा गया है कि धन शोधन के आरोपों में भुजबल पिछले दो साल से जेल में थे जबकि इसी तरह के आरोप का सामना कर रहे पूर्व वित्त केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम गिरफ्तारी के आठ दिन बाद जमानत पर रिहा होकर आ गए थे।

मराठी दैनिक ने कहा है, ‘‘राजनीतिक बदले के लिए कानून एवं सत्ता का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है।’’ कांग्रेस राकांपा सरकार में लोक निर्माण विभाग संभालने वाले भुजबल को मार्च 2016 में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में पाया था कि राकंपा नेता ने परियोजनाओं का ठेका देने में अपने पद का दुरूपयोग किया और सूबे को राजस्व की हानि हुई थी।

भुजलब ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत शिवसेना से की थी और वह दो दशक तक पार्टी में बने रहे थे। 1991 में उन्होंने शिवसेना छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बाद में जब शरद पवार ने कांग्रेस छोड़ कर राकांपा बनाई तो पूर्व मंत्री पवार के साथ चले गए थे। 

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