नई दिल्ली: कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस माफी को शुक्रवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी आप की रैली के दौरान किसान द्वारा आत्महत्या की कोशिश किए जाने के बाद उन्हें रैली रोक देनी चाहिए थी। कांग्रेस, भाजपा ने केजरीवाल की माफी को नाकाफी बताया है।
उल्लेखनीय है कि बीते बुधवार को केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ जंतर मंतर पर आयोजित आप की एक रैली के दौरान एक किसान द्वारा आत्महत्या कर लेने के बावजूद केजरीवाल ने अपना भाषण जारी रखा था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "माफी काफी नहीं है। आप किसानों को अपने दफ्तर की सजावटी वस्तु और तमाशा नहीं बना सकते। आत्महत्या के मामले को नाटकीय नहीं बना सकते।"
उन्होंने कहा कि किसी रैली में आत्महत्या का मामला पहले कभी सामने नहीं आया। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री अब माफी मांग रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।"
दिल्ली से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा, "बयानबाजी खत्म होनी चाहिए और जो लोग भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उन्हें बताना चाहिए कि कौन-सा संशोधन किसान विरोधी है।"
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "यह एक नियोजित रणनीति है, किसी स्पष्टीकरण का मुद्दा नहीं है। क्या आपके कर्मो की सजा किसान भुगतेंगे।"
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, "दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से आई सफाई नाकाफी है। जो कुछ भी उन्होंने किया वह नहीं होना चाहिए था।"
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "केजरीवाल से बस इतना कहना चाहती हूं कि माफी से किसान (गजेंद्र) वापस नहीं आएगा।"
इससे पहले केजरीवाल ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था कि दुर्घटना के बाद उन्हें अपना भाषण जारी नहीं रखना चाहिए था।
केजरीवाल ने कहा, "मैं एक घंटे का भाषण देने वाला था, लेकिन मैंने इसे 10-15 मिनट में खत्म कर दिया। मुझे लगता है कि वह मेरी गलती थी। संभवत: मुझे भाषण देना ही नहीं चाहिए था। अगर इससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं।"
उन्होंने कहा, "मैं दोषी हूं। मुझे दोषी ठहराइए। मुझे लगता है कि रैली समाप्त कर देनी चाहिए थी। लेकिन हमें किसानों के मुख्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और राजनीति बंद करनी चाहिए। जो भी कसूरवार हैं उसे फांसी दे दीजिए। लेकिन बहस का मुद्दा यही होना चाहिए कि किसान फांसी क्यों लगा रहे हैं।"