Wednesday, December 25, 2024
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राजनीति की टेढ़ी चाल, कम सीटें जीतने पर भी किस्मत ने दिया साथ, कोई बना CM तो कोई बना PM

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद यहां बने सियासी समीकरण से पहले भी देश में ऐसे कई मौके आए, जब सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ा और दूसरे नंबर की पार्टी सत्ता पर काबिज हो गई...

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : May 16, 2018 19:48 IST
एचडी देवगौड़ा और...
एचडी देवगौड़ा और अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली: कर्नाटक का इस बार का विधानसभा चुनाव इतिहास दोहराने जैसा ही है। ठीक वैसे ही जिस तरह गोवा और मणिपुर में अल्पमत में आने के बावजूद बीजेपी ने सरकार बना ली। इन राज्यों में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलने के बावजूद बीजेपी ने सरकार बनाने से रोक दिया था और अब कांग्रेस किसी भी हालत में बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने के लिए आगे बढ़ रही है। कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाने का दावा किया है और साथ ही कांग्रेस ने कुमारस्वामी को सीएम बनाने पर भी सहमति जताई है। आपको बता दें कि कर्नाटक में बने सियासी समीकरण से पहले भी देश में ऐसे कई मौके आए, जब सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ा और दूसरे नंबर की पार्टी सत्ता पर काबिज हो गई। केंद्र में भी कम सीटों वाले प्रधानमंत्री बनने में सफल रहे हैं।

अल्पमत के बावजूद ये दिग्ग्ज बने सीएम और पीएम-

अरविंद केजरीवाल- साल 2013 में दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग ने बहुमत साबित नहीं करने की स्थिति को देखते हुए बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देने से इनकार कर दिया और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी आम आदमी पार्टी को न्योता दिया गया जिसने कांग्रेस के साथ मिलकर 28 दिसंबर 2013 को सरकार बनाई और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने।

झारखंड में 10 दिन के लिए सीएम बने शिबू सोरेन- साल 2016 में तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने शिबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए बुलाया। उन्होंने कांग्रेस और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई लेकिन विश्वासमत हासिल नहीं कर पाने के चलते 10 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

पहली बार मणिपुर में BJP सरकार, बीरेन सिंह बने सीएम- साल 2017 में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सात सीटें कम लाने के बावजूद बीजेपी पहली बार इस पूर्वोत्तर राज्य में सरकार बनाने में सफल हो गई। बीजेपी ने एनपीएफ (4), एनपीपी (4) और लोजपा के एक सदस्य के साथ मिलकर सरकार बना ली और बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने।

गोवा में जीतने के बावजूद हारी कांग्रेस, पर्रिकर बने सीएम- साल 2017 में ही गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें जबकि बीजेपी की 13 सीटें मिली लेकिन दो दिन बाद ही राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दे दिया। बीजेपी ने भी चुनाव नतीजों के बाद 16 घंटे में ही एमजीपी, जीपीएफ और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर बहुमत जुटा लिया।

कल्याण सिंह ने मायावती को बनाया सीएम- साल 1996 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने के आंकड़े से 39 सीट पीछे रह गई थी। उस समय कल्याण सिंह ने 67 सीटें जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी को समर्थन दिया और 6-6 महीने के लिए सीएम की शर्त के साथ मायावती को मुख्यमंत्री बना दिया। लेकिन यह गठबंधन 6 महीने बाद टूट गया।

इसे कहते हैं अल्पमत वाली किस्मत, जादुई आंकड़ा नहीं फिर भी बने प्रधानमंत्री

वीपी सिंह- साल 1989 में कांग्रेस 197 सीटें जीतकर लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन 143 सीटें जीतने वाले जनता दल के नेतृत्व में यूनाइटेड फ्रंट की सरकार बनी। वीपी सींह प्रधानमंत्री चुने गए और भाजपा-वाम मोर्चे ने बाहर से समर्थन दिया।

चंद्रशेखर- 23 अक्टूबर 1990 में बिहार में आडवाणी की रथयात्रा रोकने पर बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन खींच लिया। जिसके बाद चंद्रशेखर 64 सांसद लेकर जनता दल से अलग हुए और समाजवादी जनता पार्टी का गठन किया, कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई।

एचडी देवगौड़ा- साल 1996 में राष्ट्रपति शंकर दयाल ने बीजेपी को न्योता दिया। 16 मई को अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने लेकिन 28 मई को समर्थन जुटाने में असफल रहने पर इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद कांग्रेस के समर्थन से जनता दल के नेतृत्व में यूनाइटेड फ्रंट को सत्ता मिली और एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने।

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