नई दिल्ली: बसपा में एक समय बहुत ही ताकतवर रहने के बाद पार्टी से निष्कासित नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दिकी आज कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने कहा कि उनका आना बदलते हुए समय का संकेत है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में नसीमुद्दीन के पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। आजाद ने कहा कि नसीमुद्दीन एवं अन्य नेताओं का कांग्रेस में शामिल होना, ‘बदलते हुए हालात एवं आने वाला समय कांग्रेस के लिए कैसा होगा, इससे भी हम अन्दाजा लगा सकते हैं।’
नसीमुद्दीन को पिछले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के महज दो माह बाद मई में पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए बसपा से निकाल दिया गया था। इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती और नसीमुद्दीन के बीच आरोपों-प्रत्यारोंपों का लंबा दौर चला था। नसीमुद्दीन के साथ आज उप्र के पूर्व मंत्री ओ पी सिंह, रघुनाथ प्रसाद संखवार, लियाकत अली, अच्छेलाल निषाद, पूर्व एमएलसी अनिल अवाना सहित बसपा के कई पूर्व मंत्री, विधायक एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य सहित करीब 100 नेता कांग्रेस में शामिल हुए।
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद उप्र कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर ने इन नेताओं का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि इन नेताओं के आने से कांग्रेस की जमीनी स्तर पर ताकत बढ़ेगी। यह पूछे जाने पर कि इतने सारे बसपा नेताओं के कांग्रेस में आने से क्या बसपा प्रमुख नाराज तो नहीं हो जाएंगी, आजाद ने कहा कि इनमें से कई नेताओं को तो स्वयं मायावती ने बसपा से निष्कासित किया था। जिन नेताओं को निष्कासित किया गया, उनसे हमदर्दी जताते हुए बाकी अन्य नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था।
आजाद ने ध्यान दिलाया कि उप्र विधानसभा चुनाव से पहले बसपा ने कांग्रेस के कई वर्तमान विधायकों को तोड़ा था किंतु ‘हम तब भी नाराज नहीं हुए थे। हमने तो उन्हें लिया है जो पार्टी में नहीं हैं..मैं तो नहीं समझता कि उनके नाराज होने का कोई कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि ये नेता कांग्रेस में बिना किसी शर्त के शामिल हुए हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इन नेताओं के आने से उप्र में महागठबंधन बनने की संभावना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, आजाद ने कहा कि राज्य या केन्द्र स्तर पर जब महागठबंधन बनाया जाता है तो उसमें बिल्कुल अलग चीजों को ध्यान में रखा जाता है। उन्होंने कहा कि आपको याद है कि हमने पिछले साल राज्य की सत्तारूढ़ पार्टियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी..27 साल बेहाल। पर बाद में हमें महसूस हुआ कि हम एकसाथ इतनी ताकतों से नहीं लड़ सकते। सपा को भी ऐसा ही महसूस हुआ और हमने एक गठबंधन बनाया।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा कि वह पिछले साल स्वयं मायावती के पास गठबंधन की बात करने गये थे जबकि उन्होंने हमारे विधायकों को तोड़ा था। इसलिए महागठबंधन बनाते समय दिमाग में बड़ी चीजें रखनी पड़ती हैं। नसीमुद्दीन के ऊपर मायावती द्वारा लगाए गए विवादास्पद आरोपों के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने पलटकर यह सवाल किया, ‘‘क्या इससे ज्यादा विवादास्पद आरोप केन्द्र और राज्य में सत्ता चला रहे लोगों पर नहीं लगाये जा चुके हैं।