नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि 1989 में राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के बदले में पांच आतंकवादियों की रिहाई बड़ी गलती थी। फारूक ने यह बात ए.एस.दुलत की पुस्तक 'कश्मीर- द वाजपेयी ईयर्स' के विमोचन के दौरान कही।
exchanging terrorists was compromised with national interest
पुस्तक में कहा गया है कि 1989 में रुबिया के अपहरण के कारण पांच आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था।
फारूक ने कहा कि उन पर दो केंद्रीय मंत्रियों -आरिफ मोहम्मद खान और आई.के.गुजराल- ने फैसला लेने का दबाव बनाया।
उन्होंने कहा, "नागरिक उड्डयन मंत्री आरिफ मोहम्मद खान और विदेश मंत्री आई.के.गुजराल श्रीनगर मुझसे मिलने आए और मैंने उन्हें हालात की जानकारी दी। मैंने स्पष्ट कर दिया कि हमें आतंकवाद से लड़ना है। हालांकि, उन्होंने मुझसे कहा कि मंत्रिमंडल ने उनकी रिहाई का फैसला कर लिया है।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार आतंकवादियों को रिहा कर देश के हित के साथ समझौता किया है।
उन्होंने कहा, "मैं किसी आतंकवादी को रिहा नहीं करता, अगर आतंकवादी मेरी बेटी को भी बंधक बना लेते। मैंने केंद्रीय मंत्रियों से कहा कि वे मंत्रिमंडल की तरफ से लिखित में यह जवाब दें। मैंने उन्हें बताया कि यह ताबूत में आखिरी कील होगी और इससे उबर पाना आसान नहीं होगा।"
फारूक ने आईसी-814 विमान अपहरण कांड में 184 यात्रियों को बचाने के लिए तीन आतंकवादियों की रिहाई के फैसले की भी आलोचना की, जिस घटना पर पुस्तक में बड़ा खुलासा किया गया है।
उन्होंने कहा कि वह आतंकवादियों को न रिहा करने पर अड़े थे और उन्होंने उपप्रधानमंत्री एल.के.आडवाणी तथा विदेश मंत्री जसवंत सिंह से अपना विरोध भी जताया था।
फारूक ने कहा कि उन्हें लगता है कि आडवाणी पर आतंकवादियों को रिहा करने का दबाव बनाया जा रहा था।