नयी दिल्ली: सुनंदा पुष्कर के साथ स्कूल में पढ़ीं उनकी एक दोस्त ने सुनंदा पर किताब लिख कर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को सामने रखने की कोशिश की है जिनमें छावनी शहरों में उनके बचपन से लेकर उनकी शुरुआती दो शादियों, कनाडा में बिताया गया उनका समय जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते, दुबई की कारोबारी महिला के रूप में उनका उदय और अंत में शशि थरूर के साथ बिताए उनके आखिरी साल से लेकर उनकी विवादित मौत तक के सभी उतार-चढ़ावों का जिक्र है।
पुष्कर 17 जनवरी 2014 को नयी दिल्ली के एक होटल के कमरे में मृत मिलीं थी। उनकी मौत चौंकाने वाली थी क्योंकि यह संदिग्ध थी, कई तरह के विवाद खड़े करने के साथ ही यह जटिल कानूनी लड़ाईयों का कारण भी बनी। किताब “एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइफ एंड डेथ ऑफ सुनंदा पुष्कर” में उनकी पत्रकार दोस्त सुनंदा मेहता ने उनके व्यक्तिगत संग्रह, साक्षात्कारों एवं पूरे देश में हुई जांच के आधार पर तथ्य सामने रखे हैं।
लेखिका ने किताब में पुष्कर की मौत से ज्यादा उनके जीवन के बारे में बात की है। मेहता ने याद किया कि सुनंदा जन्म लेते ही रोईं नहीं थीं और उन्हें मरा हुआ बच्चा मान लिया गया था। उन्होंने लिखा, “सुनंदा पुष्कर का जीवन आसान नहीं था, उन्होंने सभी मुश्किलों को पार कर इसे जिया।” उनके पिता पुष्कर नाथ दास जो कि एक सैन्य अधिकारी थे और उनकी मां जया दास ने उनके जिंदा होने की उम्मीद छोड़ दी थी।
मेहता और पुष्कर दोनों अंबाला में एक ही स्कूल में पढ़ते थे और बाद में दोनों के पिता की पोस्टिंग साथ में ही झांसी में हुई। उन्होंने किताब में लिखा पुष्कर एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने, “प्रभावशाली ढंग से जीवन जिया और संपूर्ण भावना के साथ प्रेम किया।” इस पुस्तक का प्रकाशन पैन मैकमिलन ने किया है।