नयी दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इजराइली स्पाईवेयर पेगसस के जरिये भारतीयों की कथित जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले ऐसी रिपोर्ट का प्रकाशित होना कोई संयोग नहीं है बल्कि ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं। राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच, अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है। बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन से विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में इसके समेत कुछ अन्य मुद्दों पर हंगामा किया।
आज भी वैष्णव ने उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही यह बयान दिया। जब वह बयान दे रहे थे तब आसन के समक्ष आ कर हंगामा कर रहे तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने चंद दस्तावेज भी फाड़े और हवा में उछाले। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री का यह बयान मीडिया में आई रिपोर्ट के मद्देनजर सामने आया है कि कुछ राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों सहित अनेक भारतीयों की निगरानी करने के लिये इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का कथित तौर पर उपयोग किया गया था।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि 18 जुलाई को एक वेब पोर्टल ने कथित जासूसी की खबर प्रकाशित की और यह प्रेस रिपोर्ट 19 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले सामने आई। यह संयोग नहीं हो सकता है। वैष्णव ने कहा कि 18 जुलाई 2021 को आई प्रेस रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र और एक स्थापित संस्थान की छवि को धूमिल करने का प्रयास लगती है।
उन्होंने कहा कि अतीत में वॉट्सऐप पर पेगसस के इस्तेमाल करने का दावा सामने आया था लेकिन इन खबरों का तथ्यात्मक आधार नहीं है और सभी पक्षों ने इससे इनकार किया है। गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ ने दावा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों।
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