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आपातकाल ने लोकतंत्र को संवैधानिक तानाशाही में बदल दिया: अरुण जेटली

गौरतलब है कि आंतरिक व्यवधानों का हवाला देकर 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लागू किया गया था, जिसके तहत मौलिक अधिकार निलंबित हो गए थे...

Reported by: IANS
Published on: June 24, 2018 22:45 IST
arun jaitley- India TV Hindi
arun jaitley

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को आपातकाल को याद करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार ने 40 साल से अधिक समय पहले किस तरह एक गलत आपातकाल लागू किया था और लोकतंत्र को एक संवैधानिक तानाशाही में तब्दील कर दिया था।

जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "इंदिरा गांधी की घोषित नीति के आधार पर यह एक गलत आपातकाल था, जिसे वह भारत पर थोपना चाहती थीं और उसमें सभी विरोधी आवाजों को कुचलना था।" उन्होंने कहा है, "संवैधानिक प्रावधानों का इस्तेमाल लोकतंत्र को एक संवैधानिक तानाशाही में तब्दील करने के लिए किया गया।"

गौरतलब है कि आंतरिक व्यवधानों का हवाला देकर 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लागू किया गया था, जिसके तहत मौलिक अधिकार निलंबित हो गए थे।

उन्होंने कहा कि 25/26 जून की आधी रात को राष्ट्रपति ने आंतरिक आपातलकाल की एक स्थिति पर एक नए घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 352 के तहत जारी घोषणा-पत्र के साथ ही एक अन्य घोषणा-पत्र अनुच्छेद 359 के तहत जारी किया गया, जिसके जरिए अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 के तहत मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया।

जेटली ने उस समय की अपनी भूमिका के बारे में कहा कि वह आपतकाल के खिलाफ पहले सत्याग्रही थे। उन्होंने कहा, "मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के एक प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जहां हमने आपातकाल का पुतला फूंका और जो हो रहा था उसके खिलाफ मैंने भाषण दिया।"

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