नई दिल्ली: इस दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो अलग-अलग काम कर सुर्खियां बटोरते रहते हैं। उन्हीं में से एक हैं 57 साल के के. पद्मराजन जिन्हें 'इलेक्शन किंग' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह हार-जीत की परवाह किए बिना हर चुनाव में पर्चा दाखिल करते हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है और इसी के साथ पर्चा दाखिल करने का उनका आंकड़ा 178 तक पहुंच गया है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
177 चुनाव लड़ चुके पद्मराजन को अपनी चुनावी जीत की अभी भी दरकार है। इससे पहले उन्हें सभी में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके हौसले में कमी नहीं आई। पद्मराजन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो चुनाव प्रचार में कोई पैसा खर्च नहीं करते। लेकिन उनके 20 लाख रुपए जमानत के तौर पर अभी तक जब्त हो चुके हैं।
वाजपेयी के खिलाफ भी लड़ चुके हैं चुनाव
पद्मराजन के मुताबिक, उनके पूर्वज एक सदी पहले केरल से सलेम के अथूर चले आए थे। सलेम के मेत्तुर में टायर बिजनेस चलाने वाले पद्मराजन ने अपना पहला नामांकन पत्र मेत्तुर विधानसभा सीट से 1986 में भरा था। इसके बाद से राज्य भर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के खिलाफ चुना लड़ा।
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के खिलाफ आंध्र प्रदेश के नाड्याल से नामांकन पत्र भरने वाले पद्मराजन का अपहरण हो गया। इस घटना ने उन्हें आम जन में लोकप्रिय बना दिया। पद्मराजन लखनऊ से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा पद्मराजन तमिलनाडु के एम. करुणानिधि और जे. जयललिता के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।
जयललिता के सामने तो पद्मराजन 3 बार चुनावी मैदान में खड़े हुए। इसके अलावा पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायण, पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (राज्यसभा चुनाव) और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी (राष्ट्रपति चुनाव) जैसे नाम भी शामिल हैं।
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