नयी दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के ईवीएम से मतपत्र की ओर लौटने की कई विपक्षी दलों की मांग खारिज करने के बाद कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि चुनाव आयोग खुद को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के वकील के तौर पर पेश कर रहा है। पार्टी ने यह भी कहा कि ईवीएम को लेकर ‘आशंकाओं’ का सरकार को संज्ञान लेना चाहिए।
पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सवाल ये नहीं है कि ईवीएम के साथ गड़बड़ी की जा सकती है या नहीं। बुनियादी सवाल यह है कि आज ये धारणा है कि ईवीएम के साथ गड़बड़ी संभव है। लोकतंत्र लोगों के भरोसे पर आधारित है। लोगों को ये भरोसा होना चाहिए कि जो चुनाव की प्रक्रिया और प्रणाली है, उसके साथ किसी भी तरीके का हस्तक्षेप नहीं हो सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आयोग से ये निवेदन है कि ये जो आशंकाएं हैं, उनका संज्ञान ले। संविधान की धारा 324 के अंतर्गत चुनाव आयोग को ये काम सौंपा गया है कि वह चुनाव प्रक्रिया की देखरेख करे, पर चुनाव आयोग भारत के लोकतंत्र में इकलौता पक्षकार नहीं है। भारत के लोकतंत्र में सभी देशवासी, राजनीतिक दल और प्रक्रिया से जुड़े दूसरे लोग इसमें पक्षकार हैं। कभी-कभी अटपटा लगता है, जब चुनाव आयोग ईवीएम के वकील के रूप में अपने आप को पेश करता है।’’
मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों और मतपत्र से चुनाव कराने की मांग को तर्कहीन बताकर खारिज करते हुये बृहस्पतिवार को कहा कि चुनाव आयोग किसी भी प्रकार के दबाव या धमकियों से डरकर मतपत्र के दौर में नहीं लौटेगा।