नई दिल्ली: बिहार में चौथे चरण का मतदान शुरु होने से एक दिन पहले ही भाजपा पर चुनाव आयोग का डंडा चला है। चुनाव आयोग ने भाजपा के उन दो विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसमें उन्होंने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे तौर पर आरोप लगाए हैं। गौरतलब है बिहार में 1 नवंबर को 55 सीटों के लिए चौथे चरण का मतदान होना है।
चुनाव आयोग की सख्त सलाह-
जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग ने बिहार के मुख्य चुनाव आधिकारी अजय नायक को कड़े शब्दों में सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि शनिवार से चुनाव खत्म होने यानी कि 5 नवंबर तक किसी भी पत्रिका या अखबार में इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित न हों।
क्या है पहले विज्ञापन में-
भाजपा की ओर से दिए गए एक विज्ञापन में सीधे तौर पर सुशासन के मुद्दे पर कटाक्ष किया गया है। जवाब नहीं तो वोट नहीं नाम से दिए गए इस विज्ञापन में पूछा गया है कि दलितों-पिछड़ों की थाली खींच अल्पसंख्यकों को आरक्षण परोसने का षड़यंत्र क्या सुशासन है?
क्या है दूसरे विज्ञापन में-
भाजपा द्वारा दिए गए दूसरे विज्ञापन में भी एक सवाल पूछा गया है। एक बार फिर सुशासन के मुद्दे को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा गया है कि क्या वोटों की खेती के लिए आतंक की फसल सींचना सुशासन है? यह विज्ञापन एक अखबार को दिया गया है।
आयोग ने कहा कि भाजपा को सूचित किया जाए-
आयोग ने कहा कि बिहार की भाजपा इकाई को सूचित किया जाए कि इस तरह के किसी भी विज्ञापन का न तो प्रकाशन कराया जाए और न ही प्रसारण। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक चुनावी रैली के दौरान नीतीश कुमार और लालू यादव पर आरोप लगाया था कि पिछड़ों का आरक्षण छीनकर दूसरे समुदायों को देने का प्रयास किया जा रहा है।