मुर्मू के राजनितिक जीवन की शुरुआत 1997 में हुई जब वो पहली बार स्थानीय पार्षद चुनी गई। लेकिन अब जब से उनका आम राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हुआ है तो लोगो को आश्चर्य हो रहा है कि किस तरह एक आदिवासी महिला पार्षद से लेकर राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल हुई। मुर्मू की ये जीवन यात्रा देश की तमाम आदिवासी महिलाओं के लिए प्रेरणा है। हालांकि मुर्मू एक ऐसे राज्य से ताल्लुक रखती हैं, जहां मोदी लहर के बावजूद भी भाजपा महज एक सीट जितने में कामयाब रही थी।
द्रौपदी मुर्मू पहली उड़िया नेता हैं जिन्हें किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वर्ष 2000 से 2005 तक उड़ीसा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक तथा राज्य सरकार में मंत्री भी रही हैं। भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 मार्च 2002 तक द्रौपदी मुर्मू वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री तथा 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं।
द्रौपदी मुरमू का राजनीतिक सफर
-18 मई, 2015 से झारखंड की राज्यपाल हैं
-2000 से 2004 तक ओड़िशा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहीं
-पहली ओड़िया नेता हैं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया
-छह मार्च, 2000 से छह अगस्त, 2002 तक भाजपा और बीजू जनता दल की गंठबंधन सरकार में वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं
-छह अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं
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