Blog: चुनावों के दौरान कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के उल्टे-सीधे बयानों की वजह से पार्टी को कई बार नुकसान हो चुका है लेकिन कांग्रेस के नेता हैं कि मानते ही नहीं और ऐन मौके पर ऐसे बयान दे देते हैं जिनसे कहीं न कहीं कांग्रेस को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ता है। लोकसभा चुनाव के संदर्भ में देखा जाए तो 2014 में मणिशंकर अय्यर के बयान कांग्रेस के लिए भारी पड़ गए थे और इस बार शायद उस कमी को सैम पित्रोदा पूरी कर रहे हैं।
दिल्ली और पंजाब देश के दो ऐसे प्रांत हैं जहां पर सिख मतदाताओं की देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या है। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ा घाव हैं, और सैम पित्रोदा ने इन दंगों को लेकर ऐसा बयान दे दिया है जिसकी वजह उनका विरोध हो रहा है और कांग्रेस के विरोधी दलों ने इस बयान को लपककर कांग्रेस पर फिर से निशाना साधना शुरू कर दिया है। गुरुवार को सैम पित्रोदा ने 1984 के सिख दंगों पर कहा था कि ‘84 में जो हुआ तो हुआ’।
दिल्ली में 12 मई को मतदान होना है और पंजाब में 19 मई को वोटिंग है, ऐसे में कांग्रेस के विरोधी दल सैम पित्रोदा के इस बयान को कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं। इस बार के लोकसभा चुनावों में सैम पित्रोदा पहले भी विवादास्पद बयान दे चुके हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने उस समय भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर कई व्यक्तिगत टिप्पणियां की थी, चाय वाला कहकर मजाक उड़ाया था, इतना ही नहीं गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भी मणिशंकर का बयान कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया था।
इस बार हालांकि मणिशंकर की तरफ से अभी तक कोई ऐसा बयान नहीं आया है जिसपर विवाद पैदा हो, लेकिन कांग्रेस के लिए ऐसा कहा जा सकता है कि मणिशंकर अय्यर की कमी को सैम पित्रोदा पूरा कर रहे हैं।
लेखक मनोज कुमार
इंडिया टीवी में पत्रकार