नयी दिल्ली: पिछले चार वर्षों में विपक्ष की ओर से नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार के खिलाफ पेश किये गये पहले अविश्वास प्रस्ताव पर आज लोकसभा में चर्चा शुरू हो गई। चर्चा की शुरूआत तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के जयदेव गल्ला ने की। इससे पहले बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करते हुए सदन से वाकआउट कर गए। सदन में बीजद के 19 सदस्य हैं। बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तेदेपा के एस केसीनेनी को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को कहा था। उल्लेखनीय है कि तेदेपा आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों को पूर्ण रूप से लागू करने और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने की मांग को लेकर राजग गठबंधन से अलग हो गई थी। (मानसून सत्र: अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी ने सदन में सकारात्मक बहस की उम्मीद जताई )
अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कांग्रेस, राकांपा, तेदेपा आदि दलों ने दिया था। पिछले बजट सत्र में इस विषय पर अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था लेकिन सदन में व्यवस्था नहीं होने के कारण इसे नहीं लिया जा सका था। मानसूत्र सत्र के पहले दिन बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई (शुक्रवार) को पूरे दिन चर्चा होगी और उसी दिन मत विभाजन होगा।
सदस्यों की ओर से चर्चा के लिए कुछ और समय बढ़ाने की मांग पर स्पीकर ने कहा कि सात घंटे का समय चर्चा के लिये रखा गया है। इस दिन प्रश्नकाल नहीं चलेगा और गैर-सरकारी कामकाज नहीं होगा। सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। निचले सदन में भाजपा नीत राजग के सदस्यों की संख्या 313 है जबकि कांग्रेस नीत संप्रग के सदस्यों की संख्या 63, अन्नाद्रमुक के सदस्यों की संख्या 37, तृणमूल सदस्यों की संख्या 34, बीजद के 20, तेदेपा के 16 और टीआरएस के 11 सदस्य हैं।