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व्यापम मामले में दिग्विजय ने दायर किया 27 हजार पन्नों का परिवाद

परिवाद में कहा गया कि विशेष कार्य बल (एस़ टी़ एफ.) और सी़ बी़ आई़ द्वारा उपलब्ध प्रमाणों की अनदेखी करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एवं कई अन्य भाजपा नेताओं को आरोपी नहीं बनाया गया है

Reported by: IANS
Published on: September 20, 2018 6:37 IST
व्यापम मामले में दिग्विजय ने दायर किया 27 हजार पन्नों का परिवाद- India TV Hindi
व्यापम मामले में दिग्विजय ने दायर किया 27 हजार पन्नों का परिवाद

भोपाल: राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार को विशेष न्यायालय में व्यापम कांड की एक्सेल शीट में फेरबदल करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 27,000 हजार पन्नों का परिवाद दायर किया। यह विशेष न्यायालय व्यापम कांड के लिए ही बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह के कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि दिग्विजय द्वारा विधायकों, सांसदों के व्यापम मामलों के लिए भोपाल में गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश सुरेश सिंह के समक्ष एक परिवाद प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होने 27000 पन्नों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है।

सिंह ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया है कि नितिन महेन्द्रा के कम्प्यूटर से प्राप्त मूल हार्ड डिस्क में इन्दौर के पुलिस अधिकारियों- तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (आईजी) विपिन माहेश्वरी, इन्दौर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी)दिलीप सोनी (अपराध शाखा) एवं अन्य ने मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान एवं अन्य बड़े भाजपा नेताओं को बचाने के लिये हार्ड डिस्क से प्राप्त एक्सेल शीट में फेरबदल किया और उसमें उल्लिखित मुख्यमंत्री एवं अन्य लोगों के नाम हटाए।

परिवाद के अनुसार, ट्रथ लैब की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) गलत साबित नहीं कर सकी है। ट्रथ लैब की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक्सेल शीट में छेड़छा़ड़ की गई है और हार्ड डिस्क से 18 जुलाई 2013 को जो फाइल रिकवर हुई थी उस फाइल की एक्सेल शीट में सी.एम. लिखा हुआ था जो बाद में हटाया गया है।

परिवाद में कहा गया कि विशेष कार्य बल (एस़ टी़ एफ.) और सी़ बी़ आई़ द्वारा उपलब्ध प्रमाणों की अनदेखी करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एवं कई अन्य भाजपा नेताओं को आरोपी नहीं बनाया गया है, जिसकी न्यायिक जांच हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने आगामी 22 सितंबर 2018 की तिथि नियत की है एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिह को न्यायालय में उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज करवाने के लिए कहा है।

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